गोपालगंज: हाई कोर्ट ने शासी निकाय के आदेश को किया वैध, डॉ नागेंद्र तिवारी की नियुक्ति को माना सही
गोपालगंज के हथुआ प्रखण्ड क्षेत्र में अवस्थित श्री छत्रधारी संस्कृत महाविद्यालय में प्रधानाचार्य पद को लेकर लंबे समय से चले आ रहे विवाद अब हाई कोर्ट के न्याय के बाद थम जाएगा। महाविद्यालय के प्रधानाचार्य वृजकिशोर तिवारी के अवकाश ग्रहण करने के बाद महाविद्यालय शासी निकाय द्वारा विधिवत प्रस्ताव पारित कर पिछले 15 नवम्बर 2017 को डॉ नागेंद्र कुमार पाण्डेय को प्रभारी प्रधानाचार्य बनाया। इसको लेकर कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्व विद्यालय दरभंगा के प्रशासन द्वारा शासी निकाय के प्रस्ताव को अवैध करार देते हुए महाविद्यालय के प्रधानाचार्य पद पर श्रीधरनारायण झा को 20 जून 2019 को पदस्थापित किया। इसको लेकर डॉ नागेंद्र कुमार पाण्डेय ने राज्यपाल सह कुलाधिपति के समक्ष इसकी शिकायत किया। जिसको लेकर राजभवन में दो अपील में डॉ पाण्डेय उपस्थित होकर अपना दलील पेस किया। लेकिन समयानुकूल न्याय नहीं मिलने पर डॉ पाण्डेय ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाई कोर्ट ने डॉ पाण्डेय के दलील पर सुनवाई करते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा बनाये गए प्रधानाचार्य श्रीधरनारायण को अवैध करार दिया है। हाई कोर्ट के इस निर्णय के बाद विश्व विद्यालय प्रशासन भी सकते में आ गया है। वैसे अभी अंतिम निर्णय अभी बाकी है। लेकिन कोर्ट ने विश्व विद्यालय प्रशासन को रास्ता दिखा दिया है।
निर्णय आने के बाद डॉ नागेंद्र कुमार पाण्डेय ने कहा कि विश्व विद्यालय प्रशासन शासी निकाय के निर्णय को गलत ठहराया था। जिसको लेकर मैंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और न्याय मिला। यह विदित हो कि लंबे समय से संस्कृत महाविद्यालय में दो प्रधानाचार्य अलग अलग कार्य करते रहे। यदि शासी निकाय की बात आती तो डॉ नागेंद्र कार्य करते देखे गए। वही विश्व विद्यालय प्रशासन की बात आती तो श्रीधरनारायण अपनी भूमिका में रहे। लेकिन कोर्ट ने अंततोगत्वा श्रीधरनारायण झा को प्रधानाचार्य बनाया जाना अवैध करार दे दिया। वैसे अब देखना यह है कि कोर्ट के निर्णय को विश्व विद्यालय प्रशासन मानती है या फिर कोई पेंच लगाकर मामला को फंसाती है यह तो समय ही बताएगा। इधर कोर्ट के इस निर्णय से महाविद्यालय के कई शिक्षकों में हर्ष है। वे कहते है कि अन्ततः न्याय मिलेगा ही।
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