गोपालगंज: टैक्स की भरपाई नहीं करने वाले ईट भट्ठा संचालको का सूचि तैयार, कार्रवाई का निर्देश
गोपालगंज जिला खनन पदाधिकारी बलवंत कुमार ने दो दर्जन ईट भट्ठा संचालकों की सूची तैयार करते हुए उन पर कार्रवाई करने का निर्देश जारी कर दिया है। दरअसल वित्तीय वर्ष 2022-23 में संचालित जिले के कुल 212 ईट भट्ठा संचालकों में से 188 संस्थाओं के द्वारा सरकार के टैक्स का भुगतान कर दिया गया। परंतु 24 ऐसे ईट भट्ठा संचालक हैं जो अब तक सरकार के टैक्स की भरपाई नहीं किए हैं और इन लोगों को कई बार नोटिस भी जारी किया गया है। परंतु जब यह लोग सरकारी निर्देश की अवहेलना कर रहे हैं तो ऐसे में अब विभाग इन पर सख्त कार्रवाई करने के लिए योजना बन चुका है। इसी के तहत अब चिन्हित किए गए 24 संस्थाओं को काली सूची में डालकर नीलम पत्रवाद की कार्रवाई प्रारंभ की जाएगी। इसकी जानकारी देते हुए जिला खनन पदाधिकारी ने बताया की सभी हिट भट्ठा संचालक समय से सरकार का टैक्स जमा करें और सरकारी नियम कानून का पालन करते हुए अपने बिजनेस को आगे बढ़ाएं अन्यथा कानून का उल्लंघन करने पर विधि संवत कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
जिला खनन पदाधिकारी ने बताया की खनन विभाग ने ईंट भट्टा संचालन के लिए शहरी क्षेत्र में एक लाख 57 हजार 500 रॉयल्टी तय किया है। जबकि ग्रामीण क्षेत्र के चिमनी के लिए एक लाख 12 हजार 500 रुपये निर्धारित किया है। भट्ठा चालू करने के के पूर्व यह राशि 1 से 30 नवंबर तक जमा करनेवाले भट्ठा मालिकों को इस निर्धारित शुल्क में पांच फीसद की छूट दी जायेगी। 31 दिसंबर तक बिना दंड के निर्धारित शुल्क जमा किया जा सकेगा। 31 जनवरी तक 105 फीसदी, 28/29 फरवरी तक 110 फीसदी, 31 मार्च तक 115 फीसदी, 30 जून तक 150 फीसदी और 30 जून के बाद यह रॉयल्टी शुल्क दो सौ प्रतिशत निर्धारित किया गया है। अगली पथाई सीजन के पूर्व इस राशि के जमा नहीं करने पर उन्हें दोबारा भट्ठा चलाने की इजाजत नहीं दी जायेगी।
जिले में मानक पूरा नहीं करने वाले और बिना कंसेट टू ऑपरेट यानी सीटीओ के संचालित होने वाले ईंट भट्ठों पर भी कार्रवाई की विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है। तय मानक नहीं पूरा करने पर ऐसे भट्ठों को बंद कर दिया जायेगा। इसकी सूचना अनिवार्य रूप से बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद को खनन विभाग की ओर से दी जानी होगी। ईंट भट्ठा संचालन के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से एनओसी के साथ-साथ सीटीओ का होना जरूरी है। एनओसी ईंट भट्ठा खड़ा करने के लिए मिलता है जबकि भट्टे को संचालित करने के लिए सीटीओ होना जरुरी है। जिले में कुल 200 से अधिक ईंट भट्टा का संचालन हो रहा है। जिसकी रॉयल्टी जिला खनन कार्यालय को दी जाती है।