गोपालगंज

गोपालगंज: पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा करता छठ महापर्व, भारतीय संस्कृति का रहता है ख्याल

गोपालगंज: सूर्य की उपासना का महापर्व छठ महज अनुष्ठान मात्र नहीं है, बल्कि पर्यावरण का हितैषी भी है। यह मानवीय जीवन में उमंग लाता है और पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक भी करता है। पूजा में इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री प्रकृति के अनुकूल व समाज को जोड़ने वाली होती है। यूं तो यह महापर्व भगवान सूर्य को समर्पित है, लेकिन पर्यावरण संरक्षण में इसकी भूमिका स्वीकार्य है।

चार दिनों का है यह पर्व : छठ चार दिन तक पूरे जोश-खरोश के साथ निरंतर चलता है। चौथे दिन उगते सूर्य को अ‌र्घ्य के साथ पर्व पूर्ण होता है। उगते सूर्य को देखते ही केलवा के पात पर उगेलन सूरजमल भोरे-भोरे.., प्रात: दर्शन दीहीं हे छठी मईया., जैसे सुमधुर संगीत के बीच सूर्य देव को पुत्र, पति या ब्राह्मण द्वारा व्रती महिलाओं के हाथ से गाय के कच्चे दूध से अ‌र्घ्य दिलाया जाता है। इस तरह सूर्य के देवता की बहन छठी मईया की विदाई हो जाती है।

मशीन का प्रयोग वर्जित : भारतीय संस्कृति में समाहित यह पर्व मानव व प्रकृति के बीच तादात्म्य स्थापित करता है। घर से लेकर घाट तक लोक सरोकार व मेल मिलाप का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है। खास बात यह है कि छठ में प्रसाद के लिए मशीनों का प्रयोग वर्जित है। प्रसाद बनाने के लिए जलावन के रूप में आम की लकड़ी का इस्तेमाल होना चाहिए। वस्तुत: छठ सूर्य की ऊर्जा की महत्ता के साथ जल व जीवन के संवेदनशील रिश्ते को संजोता है।

स्वच्छता का खास ख्याल : ऐसी मान्यता है कि व्रत के दौरान सफाई का ध्यान नहीं रखे जाने पर छठी मइया नाराज हो जाती हैं। इस महापर्व में समाज के हर वर्ग, हर धर्म के लोग शामिल होते हैं। पहले यह बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश तक सीमित था, लेकिन अब भारत के तमाम प्रांतों व विदेशों में भी अपनी छाप छोड़ रहा है। कहते हैं कि यह अकेला ऐसा लोक पर्व है, जिसमें उगते व डूबते सूर्य की बिना किसी आडंबर व दिखावा के विधिवत आराधना की जाती है।

कहते है आचार्य : आचार्य पं अजय कुमार पाण्डेय का कहना है की कार्तिक अमावस्या के छठे दिन अग्नि-सोम का समान भाव से मिलन होता है। सूर्य की सातों प्रमुख किरणें अमृत बरसाने लगती हैं। प्रात: आकाश में सूर्य रश्मियों से बनने वाली शक्ति प्रतिमा उपासना के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है। सूर्य देवता की उपासना जनमानस को क्रियाशील, ऊर्जावान व जीवंत बनाती है।

 

 

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