गोपालगंज

गोपालगंज जिलाप्रशासन एवं शिक्षा विभाग ने नहीं सुनी गुहार, ग्रामीणों ने चंदे से किया स्कूल भवन का निर्माण

जब सरकार ने गांव में स्कूल भवन के निर्माण में कोई पहल नहीं की. जब जिलाप्रशासन और शिक्षा विभाग से गुहार लगाते लगाते ग्रामीण थक गए. तब ग्रामीणों ने श्रमदान और चंदे के पैसे से न सिर्फ स्कूल भवन का निर्माण शुरू कर दिया. बल्कि सरकार और प्रशासन को आईना भी दिखा दिया है की वे अपने बच्चो के भविष्य के लिए सिर्फ सरकार के भरोसे नहीं बैठ सकते.

गोपालगंज के आखिरी छोर पर बसा दिघवा ब्रहम टोला गाँव. बैकुंठपुर प्रखंड मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर दूर इस गांव में एक सरकारी स्कूल तो है. लेकिन वह भी भवनहीन. जिसकी वजह से यहाँ पढने वाले करीब ढाई सौ बच्चे झोपडी और पेड़ के निचे बैठ कर पढाई करने को विवश है.

दिघवा ब्रहम टोला पंचायत के सरपंच पति सरफुद्दीन अंसारी के मुताबिक यहाँ सरकार के द्वारा वर्ष 2006-2007 में नवसृजित प्राथमिक विद्यालय दिघवा ब्रहमटोला की स्थापना की गयी. स्थापना के बाद यहाँ शिक्षा विभाग के द्वारा 5 शिक्षको को पदस्थापित किया गया. यहाँ पढने वाले बच्चो की संख्या करीब ढाई सौ से तीन सौ है. लेकिन इतनी ज्यादा संख्या में पढने वाले बच्चो को बैठने के लिए न भवन है न कोई ठिकाना. जिसकी वजह से सिर्फ एक झोपडी में ही बच्चे बैठक पढ़ते है. बाकि बच्चे खुले असमान के निचे पेड़ की छांव में बैठकर पढाई करते है.

स्कूल के प्रिंसिपल रमेश कुमार गुप्ता ने बताया की यहाँ स्कूल भवन के निर्माण को लेकर हर तरफ गुहार लगायी गयी. राज्य परियोजना निदेशक से लेकर लोक शिकायत में मामला लाया गया. लोक शिकायत ने यहाँ गैरमजरुआ आम जमीन पर स्कूल भवन के निर्माण की मंजूरी भी दे दी. लेकिन विभाग के द्वारा यहाँ स्कूल भवन के निर्माण के बजाय इस स्कूल को यहाँ से करीब ढाई किलोमीटर दूर दुसरे गाँव के स्कूल से टैग कर दिया गया. स्कूल से दुरी ज्यादा होने और स्टेट हाईवे सड़क होने की वजह से यहाँ हादसे होने लगे. जिसकी वजह से ग्रामीणों ने चंदे से पैसे इकठ्ठा कर और श्रमदान से अपने गांव में स्कूल भवन का निर्माण शुरू कर दिया है.

जदयू के प्रदेश महसचिव व स्थानीय पूर्व विधायक मंजीत सिंह ने कहा यह सरकार और जिला प्रशासन के लिए सबक है की ग्रामीणों ने अपने जनसहयोग से स्कूल भवन का निर्माण कर रहे है. पूर्व विधायक ने कहा की ग्रामीण पिछले दस वर्षो से विभागीय पदाधिकारियो के यहाँ चक्कर काट रहे थे. जब हर तरफ से उन्हें निराशा ही मिली. यहाँ भूमि रहते भवन का निर्माण नहीं किया गया. तब ग्रामीणों ने जन सहयोग से यहाँ श्रमदान और चंदे के पैसे से स्कूल का निर्माण का रहे है. जिले के सबसे पिछड़े इलाके में शुमार इस गाँव के लोग बेहद गरीब है. लेकिन अपनी गरीबी के बावजूद इन ग्रामीणों ने सरकार और जनप्रतिनिधिओ को सन्देश दे दिया है की वे अब सरकार के भरोसे अपने बच्चो के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकते.

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