गोपालगंज के चिउटाहां गांव में बाढ़ के पानी मे डूबे दोनों सगे भाइयों का शव दूसरे दिन हुआ बरामद
गोपालगंज के बैकुंठपुर प्रखंड के चिउटाहां गांव से जनविवतरण प्रणाली की दुकान से राशन लेने जा रहे दो सगे भाई चिउटाहां बाजार के समीप पोखरे के पास बाढ़ के पानी की तेज धारा में बहकर पोखरे में डूब गए थे, जिनका शव आज दुसरे दिन बरामद हुआ। स्थानीय लोग एवं एनडीआरएफ की टीम ने पोखरे तथा उसके आसपास बाढ़ के पानी में कड़ी मेहनत की जिसके बाद दोनों भाइयों का शव बरामद हो सका है। दोनों भाइयों का शव मिलने से पूरे गांव का माहौल गमगीन हो गया है वही परिजनों के आंखों से आंसू थम नहीं रहे हैं।
बताया जाता है कि चिउटाहां गांव निवासी रामेश्वर प्रसाद के पुत्र 25 वर्षीय दिनेश प्रसाद तथा 35 वर्षीय सुरेंद्र प्रसाद भगवानपुर गांव में डीलर हरेंद्र मांझी की जन वितरण प्रणाली दुकान से राशन लेने जा रहे थे। अभी दोनों भाई चिउटाहां बाजार के समीप एक पोखरे के पास पहुंचे थे कि बाढ़ के पानी के तेज बहाव में बह कर पोखरे में डूब गए। दोनों भाइयों के चिल्लाने पर मौके पर पहुंचे ग्रामीणों उन्हें बचाने का प्रयास किया। लेकिन वे उन्हें बचा नहीं सके। ग्रामीणों से सूचना मिलने पर मौके पर पुलिस के साथ पहुंचे प्रखंड विकास पदाधिकारी ने एनडीआरएफ की टीम को बुलाया। मौके पर पहुंची एनडीआरएफ की टीम ने पोखरे तथा बाढ़ के पानी में दोनों भाइयों की घंटों तलाश किया। लेकिन दोनों भाइयों का कुछ पता नहीं चल सका। वहीं आज दुसरे दिन एनडीआरएफ की टीम और स्थानीय ग्रामीणों के कड़ी मेहनत के बाद दोनों भाइयो का शव बरामद किया जा सका।
गौरतलब है की दो सगे भाई चिउटाहां गांव निवासी 25 वर्षीय दिनेश प्रसाद तथा 35 वर्षीय सुरेंद्र प्रसाद के मौत से पूरे गांव को माहौल गमगीन हो गया है। सुरेंद्र प्रसाद एलआइसी में एजेंट का काम करते थे। इनकी पत्नी रंजू देवी गांव में स्थित मिनी आंगनवाड़ी केंद्र की सेविका हैं। वहीं छोटा भाई दिनेश प्रसाद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सिधवलिया में एंबुलेंस चालक था। एक साथ दो बेटों के मौत हो जाने से मां तेतरी देवी का रो-रो कर बुरा हाल है। मृतक सुरेंद्र प्रसाद को तीन बेटियां 15 वर्षीय पुष्पा कुमारी, 13 वर्षीय पम्मी कुमारी, 10 वर्षीय अंजली कुमारी व आठ वर्षीय बेटा विकास कुमार हैं। जबकि मृतक दिनेश प्रसाद के दो बेटे पांच वर्षीय आर्यन कुमार व तीन वर्षीय आयुष कुमार हैं। दोनों भाइयों के एक साथ मौत से इस परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। परिजनों के चीत्कार से उन्हें ढांढस बांध रहे ग्रामीणों की आंखें भी नम हो गई।