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उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन को कोर्ट में चुनौती देगी कांग्रेस

उत्तराखंड कांग्रेस में बगावत से पनपे राजनीतिक संकट के बीच अब राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया है। केंद्र सरकार ने बीती रात कैबिनेट की बैठक के बाद राष्ट्रपति से इसके लिए सिफ़ारिश की थी जिसे राष्ट्रपति ने मान लिया है। वहीं, कांग्रेस की ओर से कहा जा रहा है कि वह केंद्र के इस निर्णय के खिलाफ कोर्ट जाएंगे।

केंद्र सरकार का कहना है कि उत्तराखंड में संवैधानिक व्यवस्था चरमरा गई थी और विधायकों की ख़रीद फ़रोख़्त हो रही थी जिसे देखते हुए राष्ट्रपति शासन लगाने का फ़ैसला किया गया है। विधानसभा को भंग नहीं किया गया है बल्कि निलंबित रखा गया है। उधर, कांग्रेस और ख़ासतौर पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे हरीश रावत ने इसे संविधान और लोकतंत्र की हत्या बताया है।

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि धारा 356 के प्रयोग का इससे बेहतर कोई दूसरा उदाहरण नहीं हो सकता है। पिछले नौ दिन से हर दिन संविधान के प्रावधानों की हत्या हो रही थी। नौ दिन पहले कांग्रेस के नौ विधायकों की बग़ावत का पटाक्षेप उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन के तौर पर हुआ। राज्यपाल की रिपोर्ट के आधार पर केंद्रीय कैबिनेट की सिफ़ारिश राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मंजूर कर ली। ये फ़ैसला उत्तराखंड विधानसभा में बहुमत परीक्षण से ठीक एक दिन पहले हुआ।

केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि संविधान में लिखा है कि जब बजट फेल होता है तो इस्तीफ़ा देना होता है। स्वतंत्र भारत में पहला उदाहरण है जब एक एक फेल्ड बिल को बिना वोट लिए पारित होने की घोषणा कर दी गई। 18 तारीख़ के बाद से जो सरकार चली है वो असंवैधानिक है।

उधर, मुख्यमंत्री रहे हरीश रावत ने इसे लोकतंत्र और संविधान की हत्या बताते हुए केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए। रावत ने कहा कि शायद ही ऐसा कोई उदाहरण जिसे बहुमत सिद्ध करने से एक दिन पहले ही बर्ख़ास्त कर दिया जाए। सरकार का बहुमत विधानसभा में तय होना चाहिए था। ऐसी क्या जल्दबाज़ी थी कि सरकार को भंग कर दिया गया।

अरुण जेटली ने ये भी कहा कि विधानसभा स्पीकर ने बीजेपी के एक बाग़ी विधायक के ख़िलाफ़ कोई कार्यवाही नहीं की जबकि वो कांग्रेस के नौ बाग़ी विधायकों के ख़िलाफ़ मनमाने तरीके से दल बदल कानून का प्रयोग कर रहे थे।

जेटली ने कहा कि संविधान की दसवीं अनुसूची है जिसका डिसक्रिमिनेटरी तरीके से प्रयोग हुआ। ये पहला उदाहरण है स्वतंत्र उदाहरण में कि एविडेंस आया हो और अपने मुंह से मुख्यमंत्री जी हॉर्स ट्रेडिंग का प्रयास कर रहे हों।

उत्तराखंड की सियासत को लेकर खींचतान अभी बाक़ी है। विधानसभा को भंग नहीं किया गया है बल्कि निलंबित रखा गया है। ऐसे में राष्ट्रपति शासन के बावजूद किसी नई सरकार के गठन का विकल्प अभी खुला है। देखना है कि इसके लिए बीजेपी अगर पहल करती है तो कब।

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