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दिल्ली में प्रदूषण: इस प्रदूषण में 10 घंटे रहना मतलब 42 सिगरेट पीना

केंद्र ने शनिवार को कहा कि खतरनाक प्रदूषण स्तर के चलते दिल्ली एक ‘आपात स्थिति’ का सामना कर रही है. केंद्र ने किसानों द्वारा खूंटी जलाने पर अंकुश के लिए सभी पड़ोसी राज्यों के पर्यावरण मंत्रियों की सोमवार को एक बैठक बुलाई है दिल्ली में आजकल जो हाल है उस प्रदूषण में दस घंटे रहने का मतलब 42 सिगरेट पीना है। लिहाजा कई स्कूलों में ताला लगा है।

दिल्ली पर धुंध छाए रहने और कई स्थलों पर प्रदूषण का स्तर सुरक्षित स्तर से 17 गुना अधिक होने के बीच मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री अनिल दवे से मुलाकात की केजरीवाल ने इस चुनौती से निपटने में केंद्र के तत्काल हस्तक्षेप की मांग की।

केजरीवाल ने दिल्ली की तुलना एक ‘गैस चैंबर’ से की, जिसके लिए मुख्य कारण पंजाब और हरियाणा से खेतों में खूंटी जलाने से उठने वाला धुआं है. उन्होंने लोगों से वाहनों का इस्तेमाल न्यूनतम करने की भी अपील की. बैठक के बाद दवे ने कहा कि उन्होंने सभी पड़ोसी राज्यों के पर्यावरण मंत्रियों की सोमवार को एक बैठक बुलाई है और उनसे अनुरोध करेंगे कि वे अपने राज्यों में खूंटी जलाने पर अंकुश लगाएं, क्योंकि यह दिल्ली में धुंध का स्तर बढ़ाता है।

दवे ने संवाददाताओं से कहा, ‘दिल्ली में एक आपातकालीन स्थिति है. स्थिति बहुत खराब है, विशेष तौर पर बच्चे, मरीजों, महिलाओं और वृद्धों के लिए. हमें स्थिति से निपटने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है.’ उन्होंने कहा कि वह इस मुद्दे पर सभी पड़ोसी राज्यों के मुख्यमंत्रियों की एक बैठक बुलाने की संभावनाएं भी तलाश रहे हैं.

केजरीवाल ने अपनी ओर से अपील की कि लोग निजी वाहनों का इस्तेमाल सीमित करें और सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करें. केजरीवाल ने इससे पहले एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि ऑड-ईवन जैसे वाहन सीमित करने के उपाय धुंध कम करने में सफल नहीं होंगे, क्योंकि प्रारंभिक अध्ययन से यह बात सामने आई है कि पंजाब और हरियाणा से बड़ी मात्रा में आने वाले प्रदूषणकारी धुएं ने स्थिति बिगाड़ दी है।

अनिल दवे ने कहा कि स्थिति ‘बहुत ही खराब’ है और इससे निपटने के लिए तत्काल अल्पकालिक उपाय करने की जरूरत है. दवे ने कहा कि उन्होंने केजरीवाल के साथ ‘आपातकालीन उपायों’ पर चर्चा की, जिसमें धूल, प्रदूषण और फसल जलाने पर नियंत्रण के तरीके शामिल थे।

उन्होंने कहा, ‘वायु प्रदूषण के पांच कारण हैं जिसमें लकड़ी, कोयला, डीजल, पेट्रोल और कृषि कचरा जलाना शामिल हैं. हमें समस्या के समाधान के लिए हल खोजना होगा.’ उन्होंने कहा, ‘हमें अपनी नियमित जीवन शैली में अनुशासन लाना चाहिए. यदि मैं अपनी चार कारों का इस्तेमाल कम नहीं करूं और अन्य से अपेक्षा करूं कि वे साइकिल इस्तेमाल करेंगे तो ऐसा नहीं होना चाहिए. हमें सामूहिक रूप से आत्मनियमन अपनाना चाहिए।’

प्रदूषण के मद्देनजर नगर निगम के एक दिन के लिए स्कूल बंद रखने के निर्णय के बारे में पूछे जाने पर दवे और केजरीवाल दोनों इससे सहमत थे कि स्कूल बंद करना कोई हल नहीं है. केजरीवाल ने किसानों को विकल्प और प्रोत्साहन मुहैया कराने पर जोर दिया, ताकि वे खेतों में पराली जलाने के पारंपरिक तरीके को छोड़ दें।

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