गोपालगंज

गोपालगंज: दीपावली पर जमुनहां बाज़ार में दीयों व मिट्टी के खिलौनों को आकार देने में जुटे कुम्हार

गोपालगंज: दीपावली के त्योहार में अब आठ दिन शेष रह गये है। मिट्टी के धंधे से जुड़े कुम्हार कच्चे दीयों को पकाने और खिलौनों को अंतिम रुप देने में लगे हुए है। महीनों से दीपावली की तैयारी में जुटे इन परिवारों के चेहरे पर खुशी है। क्योंकि कोरोना के बाद पहली बार बाजार में रौनक की संभावना है।

हाल के वर्षों में बाजार में आधुनिकता का रंग ऐसा चढ़ा कि दीपों की जगह रंग-बिरंगे झालरों ने ले लिया। इसके कारण मिट्टी के दीयों की चमक मद्धिम पड़ गयी। वंशीधर प्रजापति कहते है कि पिछले वर्ष भी बाजार में मिट्टी के दीयों के उचित मूल्य नहीं मिले थे। मजबूरी में कम कीमत पर बेच कर भारी मन से घर लौटना पड़ा था। इस बार उत्साह से दीया बना रहे हैं। उम्मीद है कि दीयों की अच्छी बिक्री होगी। दीपावली पर दूसरों के घरों को रोशनी से जगमग करने वाले कुम्हारों की जिंदगी मे आज भी अंधेरा पसरा हुआ है। कड़ी मेहनत से मिट्टी के दीये और खिलौने बनाने वाले कुम्हार आज भी दो जून की रोटी के लिए संघर्ष कर रहे है। जिले में लगभग छ्ह सौ घर कुम्हारों के है। जो मिट्टी के बर्तन बनाते है। लीलावती देवी बताती है कि पहले तालाबों से मिट्टी लाकर काम करते थे। आज एक हजार रुपये ट्राली मिट्टी खरीदनी पड़ रही है। कड़ी मेहनत से तैयार मिट्टी के बर्तन और खिलौनों का उचित मूल्य नहीं मिलने से कई परिवारों ने इस पेशे को अलविदा कह दिया है। अब महज चार से पांच सौ परिवारों का जीवन चाक और मिट्टी के भरोसे चल रहा है।

महापर्व दीपावली की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। दीपावली का पर्व कार्तिक मास की अमावास्या को मनाया जाता है। इस साल अमावस्या पर सूर्य ग्रहण का साया पड़ने से दीपावली को लेकर भ्रम की स्थिति बन गई थी। लेकिन विद्वत आचार्यों ने असमंजस को दूर करते हुए दीपावली का त्योहार 24 अक्टूबर को मनाने का निर्णय लिया है।

22 अक्टूबर को धन त्रयोदशी यानि धनतेरस, 23 अक्टूबर को रूप चौदस व शाम को 5 बजे के बाद नरक चतुर्दशी, 24 अक्टूबर को हनुमान जयंती व दीपावली तथा 27 अक्टूबर को भैया दूज का पर्व मनाया जाएगा। आचार्य पं अजय कुमार पाण्डेय के मुताबिक इस बार अमावस्या तिथि का संयोग दो दिन, यानि 24 व 25 अक्टूबर को है। लेकिन 25 तारीख को अमावस्या तिथि प्रदोष काल (सूर्यास्त) से पहले ही समाप्त हो जा रही है, जबकि 24 अक्टूबर को प्रदोष काल से लेकर निशीथ काल में भी अमावस्या तिथि रहेगी। लिहाजा निशीथ कालीन पर्व होने के चलते 24 अक्टूबर को ही सर्वमान्य रूप से दीपावली का पर्व मनाया जाएगा। दीपावली के अगले दिन 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण लगेगा। यहां इसका आरंभ 25 अक्टूबर को अपराह्न 04 बजकर 29 मिनट से शुरू होकर शाम 05 बजकर 42 मिनट तक रहेगा।

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