गोपालगंज: पंचदेवरी के नंद पट्टी में चल रहा है शतचंडी महायज्ञ, श्रद्धालुओं की जूट रही है भारी भीड़
गोपालगंज: काम, क्रोध, मद, लोभ और अहंकार मानव के अंदर छिपे सबसे बड़े शत्रु होते हैं। इनसे बचने के लिए धर्म के मार्ग का अनुशरण करने के सिवा दूसरा कोई रास्ता नहीं है। इसके साथ ही मोह भी कमतर घातक नहीं है। मोह आवश्यक तो है परंतु जब यह विषय के प्रति होता है तो ब्रह्मफाश से अधिक घातक साबित होकर पतन के मार्ग पर ले जाता है।
उक्त बातें नंद पट्टी दुर्गा मंदिर परिसर में चल रहे शतचंडी महायज्ञ के दुसरे दिन मानस मर्मज्ञ रामअवध शुक्ल रमायणीने ही। उन्होंने कहा कि माया की दुनिया में मोह के वशीभूत होकर लोग कष्ट के भागी बनते हैं। मोह के कारण व्यक्ति की सोच में परिवर्तन होने लगता है और उसे अच्छे-बुरे का भान नहीं रह जाता है। गलत जानने के बाद भी मोह बुरे कर्म के प्रति आशक्ति पैदा करता है। मोह से कुछ भी प्राप्त होने वाला नहीं है, बल्कि संसार की हर गतिविधियां पूर्व से ही निर्धारित होती हैं। मृगतृष्णा से जल का आभास तो होता है पर प्यास नहीं बुझ पाती है। ब्रह्मफाश से बंधा व्यक्ति मुक्त हो सकता है परंतु मोह के फास से बंधा व्यक्ति बड़ी कठिनाई मुक्त होता है। नश्वर संसार में प्रभु के सिवा सबकुछ मृग मरीचिका के समान है जिसके पीछे भागकर लोग अपने समय और श्रम को निरर्थक रुप से बेकार कर रहे हैं। वहीं मानस कोकिला सुश्री अर्चना मिश्रा ने कहा कि कलयुग में राम जैसा पुत्र और सीता जैसी पुत्रवधु चाहती हो तो कौशल्या जैसी मां बनकर दिखाओ, तभी आपकी इच्छा को भगवान पूरी करेंगे। उन्होंने कहा कि जो जगत पिता है, वह किसी का पुत्र बने यह परम आश्चर्य की बात है, परंतु प्रेम के कारण यह अघटित घटना भी घटी। संसार का कोई बंधन उन्हें बांध नहीं सकता सिवाय प्रेम के। जब जीवन में कोई मार्ग न सूझे तब सदगुरु की शरण में जाना चाहिए। महाराजा दशरथ ने पुत्र प्राप्ति के लिए गुरुवर बशिष्ट जी के परामर्श से यज्ञ का आयोजन किया और ऋंगी ऋषिजी के आचार्यत्व में यज्ञ पूर्ण हुआ, फलस्वरूप भगवान श्री राम, भारत, लक्ष्मण एवं शत्रुघ्न के रूप में प्रकट हुए। कलयुग जो मनुष्य अपने माता-पिता का अनादर करेगा और साधु संतों का अपमान करेगा, उस मनुष्य को उसकी संतान कभी सुख नहीं देगी। इसलिए राम जैसा आज्ञाकारी पुत्र बनने के लिए अपने माता और पिता का आदर करो। सत्य मार्ग पर चलो ईश्वर की भक्ति में मन लगाओ तभी सुख के भागीदार बनोगे। इसलिए प्रभु की भक्ति में जुट जाओ।