गोपालगंज

गोपालगंज: कुशीनगर में बना अन्तर्राष्ट्रीय एअरपोर्ट, सबेया अभी भी अपनी बदहाली पर बहा रहा है आंसू

गोपालगंज: यूपी के कुशीनगर में स्थित कुशीनगर एअरपोर्ट को देश का 29 वा अन्तर्राष्ट्रीय एअरपोर्ट बनाया गया है। इस एअरपोर्ट के बनने से सबसे ज्यादा फायदा सीमावर्ती बिहार के गोपालगंज और सीवान जिले को होगा। क्योकि पुरे देश में केरला के बाद गोपालगंज और सीवान की बड़ी आबादी खाड़ी देशो में कमाने के लिए जाती है। इस एअरपोर्ट के बनने के बाद अब गोपालगंज के सबेया हवाई अड्डा के जीर्णोधार की दोबारा उम्मीद जागने लगी है।

हांलाकि गोपालगंज के इकलौता सबेया एअरपोर्ट को केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी उडान योजना से पहले से जोड़ा गया है। वही इस एअरपोर्ट से घरेलु उड़ान शुरू करने की योजना है। बावजूद इसके यह हवाई अड्डा आज भी अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। यहाँ की हवाई पट्टी उखड़ने लगी है। जबकि इस हवाई अड्डे की सैकड़ो एकड़ जमींन अतिक्रमण की जद में है।

सोशल साईट विकिपीडिया के मुताबिक गोपालगंज के हथुआ अनुमंडल में बना सबेया हवाई अड्डा का निर्माण 1868 में किया गया था। सेकंड वर्ल्डवॉर के दौरान इस हवाई अड्डा का निर्माण अंग्रेजी शासको के द्वारा किया गया था। जिसका उपयोग भारत सरकार ने भी 1962 के भारत चीन युद्ध के दौरान भी किया था। जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर और हथुआ अनुमंडल मुख्यालय से इस हवाई अड्डा की दुरी करीब 3 किलोमीटर है।

हथुआ अंचल कार्यालय में रखे दस्तावेज के मुताबिक शुरुवात में इस हवाई अड्डा का कुल रकबा करीब साढ़े सात सौ एकड़ था। जिसमे करीब 500 एकड़ की जमीन पर लोगो ने अतिक्रमण कर रखा है। जानकारों के मुताबिक इस हवाई अड्डा की जमीन पर करीब 22 टोला बसा हुआ है। जो हवाई अड्डा की हवाई पट्टी पर निर्मित है।

विकिपीडिया के मुताबिक सबेया हवाई अड्डा मिलिट्री के अधीन है। इसलिए इस जमीन पर रक्षा मंत्रालय का मालिकाना हक़ है। 1868 में इसका इसका कुल क्षेत्रफल 517 एकड़ यानि 209 हेक्टेयर था। जिसका उपयोग ब्रिटिश शासकों के द्वारा वर्ल्ड वार के दौरान किया था। चीन से इस हवाई अड्डे की दुरी काफी कम होने की वजह से इसका ज्यादा महत्व था।

सबेया हवाई अड्डा के समीप बसे साहेबाचक गाँव के ग्रामीण रामनाथ चौधरी के मुताबिक पूर्व में जब इस हवाई अड्डा का निर्माण किया गया था। तब उन्होंने भी उस हवाई अड्डा के हवाई पट्टी के मरम्मती में मजदूरी की थी। तब उन्हें 12 पैसे मजदूरी मिलती थी। कई महीनो तक मरम्मती का कार्य चला था। उस दौरान भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी इस हवाई अड्डा पर आ चुकी है। इसका सामरिक महत्व भी है। लेकिन अब लोगो ने हवाई अड्डा की पूरी जमीन ही अतिक्रमण कर लिया है। इसके विकसित होने से स्थानीय लोगो को रोजगार तो मिलेगा हर तरफ खुशहाली आएगी और विदेश जाने वालो को सहूलियत होगी।

गोपालगंज के सांसद डॉ आलोक कुमार सुमन के मुताबिक इस हवाई अड्डा को भी केंद्र सरकार ने उड़ान योजना में शामिल किया है। देश के 26 हवाई अड्डा को उड़ान योजना में शामिल किया गया था। जिसमे गोपालगंज का यह सबेया हवाई अड्डा भी शामिल है। सांसद ने कहा इसे विकसित करने को लेकर उन्होंने लोकसभा में सवाल उठाया था।

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