गोपालगंज: युवक ने पेश की इंसानियत की मिसाल, रोजा तोड़ कर युवक ने बचाई मासूम बच्ची की जान
गोपालगंज में एक मुस्लिम युवक ने 3 साल की मासूम हिंदू बच्ची को ब्लड देकर उसकी जान ही नहीं बचाई। बल्कि इस रोजेदार युवक ने कौमी एकता की एक अनूठी मिसाल भी पेश की है। उचकागांव के कैथवलिया गांव की 3 साल की मासूम बच्ची निष्ठा कुमारी थैलेसीमिया से पीड़ित थी। इस बच्ची का इलाज एम्स दिल्ली और लखनऊ के पीजीआई में चल रहा था। पीड़ित के परिजनों के मुताबिक कोरोना वायरस लेकर देश में लॉक डाउन है। जिसकी वजह से वे अपनी बच्ची का इलाज कराने के लिए लखनऊ और दिल्ली नहीं जा सकते थे। उन्होंने अपनी बेटी का इलाज कराने से पहले उसे खून की कमी महसूस की। मासूम निष्ठा कुमारी के शरीर मे महज 5 पॉइंट हिमोग्लोबिन था। जिसकी वजह से उसे खून की बहुत ज्यादा जरूरत थी। जब पीड़ित बच्ची के पिता ने अपने संपर्क में कई लोगों से गुहार लगाई तब गोपालगंज शहर के जंगलीया मोहल्ले के रहने वाले 24 वर्षीय युवक वकार अहमद ने अपना रोजा तोड़कर इस बच्ची को रक्तदान करने की ठानी।
वकार अहमद के मुताबिक वे कई दिनों से रोजा रख रहे हैं। लेकिन जब उन्हें सूचना मिली की एक बच्ची जिसे थैलेसीमिया हुआ है और उसे खून की बहुत ज्यादा जरूरत है। तब वकार ने कहा कि वे बाद में भी रोजा कर लेंगे। लेकिन रोजा से ज्यादा जरूरी एक बच्ची की जान बचाना है। वकार ने बताया कि उनका ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव है और थैलेसीमिया से पीड़ित बच्ची निष्ठा कुमारी का भी ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव है। जिसके बाद उन्होंने आज शुक्रवार को गोपालगंज सदर अस्पताल के ब्लड बैंक में अपना रक्तदान किया।
निष्ठा कुमारी के पिता उज्जवल सिंह के मुताबिक वे अपनी बेटी की बीमारी को लेकर काफी परेशान थे। लोक डॉन की वजह से अपनी बेटी का इलाज नहीं करा पा रहे थे और बीमारी की वजह से उनकी बेटी के शरीर में खून की कमी हो गई थी। खून की कमी से उनकी बेटी की तबीयत बिगड़ने लगी थी। तब उन्होंने अपने दोस्त परवेज आलम से मदद की गुहार लगाई। परवेज आलम की पहल पर वकार अहमद ने उनकी बेटी की जान बचा ली है। वकार ने ना सिर्फ धर्म और मजहब की दीवार तोड़कर उनकी बेटी की जान बचाई बल्कि मानवता की मिसाल भी पेश की है। पिता ने वकार को तहे दिल से धन्यवाद दिया है।
मुस्लिम युवक वकार के द्वारा दीक्षा को ब्लड डोनेशन की यह कहानी समाज को एक नई प्रेरणा भी देगी।