गोपालगंज: सासामुसा चीनी मिल ने अबतक महज 37% गन्ना किसानो के बकाये का किया है भुगतान
गोपालगंज में वर्तमान में तीन चीनी मिलें मौजूद है। दो चीनी मिलो ने अपने गन्ना किसानो का लगभग सौ फीसदी भुगतान कर दिया है। लेकिन जिले के सासामुसा चीनी मिल के द्वारा अबतक महज 37 फीसदी ही गन्ना किसानो के बकाये का भुगतान किया गया है। किसान अपने बकाये को लेकर मिल का चक्कर काट रहे है। जबकि पैसे की आर्थिक तंगी से अब किसानो का गन्ने की खेती के प्रति मोहभंग भी होने लगा है।
गौरतलब है की गोपालगंज में चार चीनी मिलो में से तीन चीनी मिले चालू हालत में है। जिसमे सिधवलिया स्थित भारत सुगर मिल और गोपालगंज स्थित विष्णु सुगर मिल में कई दिनों से गन्ने की पेराई भी शुरू कर दी गयी है। गोपालगंज के सिधवलिया मिल के द्वारा गन्ना किसानो का 99.70 फीसदी पिछले साल का भुगतान कर दिया गया है। लिहाजा इस मिल पर पुराने साल का गन्ने की फसल का कोई बकाया नहीं है।
वही गोपालगंज के विष्णु सुगर मिल के द्वारा करीब 95 फीसदी गन्ने की भुगतान कर दिया गया है। अब महज 5 फीसदी ही किसानो की फसल का भुगतान बकाया बाकि है, जो प्रक्रिया में है। यानी इस मिल के द्वारा भी लगभग पूरा किसानो का बकाया भुगतान कर दिया गया है।
यहाँ सबसे बुरा हाल गोपालगंज के सबसे पुराने सासामुसा सुगर मिल का है। जहा 22 नवम्बर के आंकड़े के मुताबिक इस मिल के द्वारा महज 37 फीसदी ही किसानो के बकाये का भुगतान किया गया है। किसान अपने गन्ने की फसल का भुगतान लेने के लिए कई बार मिल का चक्कर भी काटे। लेकिन उन्हें भुगतान नहीं मिला। सिर्फ आश्वासन ही मिला है।
कुचायकोट के जलालपुर गाँव के किसान नरेन्द्र सिंह के मुताबिक उन्होंने पिछले अपनी गन्ने की फसल सासामुसा सुगर मिल में दिया था। लेकिन उन्हें अपनी फसल का महज कुछ फीसदी ही भुगतान मिल सका है। अभी भी उनकी फसल का 80 फीसदी भुगतान एक साल से लंबित है। घर का खर्च चलाने से लेकर घर में बेटी की शादी को लेकर आर्थिक तंगी के हालात है। लेकिन बार बार गुहार लगाने के बावजूद उन्हें अपनी फसल का भुगतान नहीं मिल सका है। वे अपनी पैसे के भुगतान को लेकर मिल प्रबंधन से कई बार मिले। लेकिन उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिला है। नरेन्द्र सिंह के मुताबिक गन्ने की फसल में लागत जयादा है। जिसकी वजह से उन्होंने कर्ज पर पैसे लेकर खेती किया था। लेकिन वह भी कर्ज बढ़ता चला गया और उन्हें भुगतान भी नहीं मिला है। इसलिए नरेंद्र सिंह का अब गन्ने की खेती से मोह भंग हो रहा है। उनका कहना है की वे अब अगले साल से गन्ने की फसल नहीं लगायेंगे। बल्कि वे गन्ने की फसल लगाने का बहिष्कार करेंगे।
बता दे की गोपालगंज की विष्णु सुगर मिल के द्वारा पिछले साल करीब 65 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई की गयी थी। जबकि सिधवलिया चीनी मिल के द्वारा भी करीब 65 लाख क्विंटल ही गन्ने की पेराई की गयी। लेकिन इतने रिकॉर्ड उत्पादन के बावजूद पिछले साल चीनी की कम खपत होने से चीनी का लाखो क्विंटल स्टॉक इन दो मिलो में अभी भी है। जो अगले साल जून तक निकलने की उम्मीद है।
गन्ना किसानो के भुगतान को लेकर सरकारी आंकड़े देखे तो गोपालगंज के सासामुसा चीनी मिल में किसानो का सबसे ज्यादा भुगतान लंबित है।