गोपालगंज में सरकारी स्कूल के एक शिक्षक ने अपने प्रयास और मेहनत से स्कूल का किया कायाकल्प
जब आप बिहार के किसी सरकारी स्कूल का नाम सुनते है. तब शायद आपके मन में एक खंडहरनुमा और बदरंग दीवारों वाली जर्जर स्कूल भवन. जहा बच्चे फर्श पर बैठ कर खेलते और इधर उधर बाते करते नजर आते है. जहा कोई शिक्षक क्लास में नहीं बल्कि स्कूल के बाहर गप्पे मारते नजर आते हो. लेकिन गोपालगंज के एक शिक्षक ने अपने प्रयास और मेहनत से न सिर्फ सरकारी स्कूलों की बदहाली का कांसेप्ट बदल दिया है. बल्कि इस स्कूल के बेहतर मैनेजमेंट ने निजी स्कूलों को भी पीछे छोड़ दिया है. आज यह स्कूल अपने इलाके में एक बेहतर मैनेजमेंट और बेहतर शिक्षा के लिए जाना जाता है.
गोपालगंज के हथुआ प्रखंड के मिडिल स्कूल बरवा कपरपुरा को देखकर शायद आपकी सोच बदल जाए. इस विधायल का बेहतर मैनेजमेंट आपको सोचने पर मजबूर कर देगा. किसी निजी स्कूल के मैनेजमेंट और रखरखाव से कम नहीं है यह स्कूल.
जी हां, इस स्कूल में पढने वाले छात्रो की संख्या है 396 यानी करीब चार सौ है. जहा 15 शिक्षक तैनात है. जिसमे 8 महिला शिक्षका इस स्कूल में बच्चो को पढ़ाती है.
यहाँ का मैनेजमेंट स्वच्छ भारत अभियान से प्रेरित है. यहाँ शुध्द और ताजी हवा के साथ ही ठंढी हवा के लिए एक से बढ़कर एक पेड़ लगाये गए है. पौधारोपण किया गया है. स्कूल परिसर में बागवानी की गयी है. तरह तरह के फूल और क्रोटन के पौधे लगाये गए है.
बच्चो को कोई बीमारी न हो इसके लिए स्कूल में मिनरल वाटर मशीन लगाया गया है. जहा इस स्कूल के बच्चे तो पानी पीते ही है. उनके अभिभावक भी जब आते है. वे भी आरओ का पानी पीते है.
स्कूल में पढने वाले बच्चो के मुताबिक प्रत्येक कमरे में जरूरत के हिसाब से एक या दो पंखे लगाये गए है. उनके लिए साफ़ सुथरा और बेहतरीन शौचालय का निर्माण कराया गया है. स्कूल में साफ़ सफाई की विशेष व्यवस्था भी की गयी है और यही वजह है कि इस स्कूल में बच्चो की उपस्तिथि करीब 80 फीसदी से 85 फीसदी है. जो किसी भी स्कूल के लिए बड़ी उपलब्धि है. क्लास आठ के छात्र अमित कुमार के मुताबिक यह सब कुछ संभव हुआ है इस स्कूल के प्राचार्य सुभाष सिंह के द्वारा. उनके आने के बाद स्कूल में एमडीएम में मिलने वाला भोजन भी अच्छा और लजीज होता है. खाना बनाने के लिए बड़े कमरे है. इसके साथ ही यहाँ मेनू के मुताबिक खाना बनता है.
स्कूल के प्राचार्य सुभाष सिंह के मुताबिक एक साल पहले ही उन्होंने इस स्कूल का प्रभार लिया था. तब यहाँ के मैनेजमेंट से वे संतुष्ट नहीं थे. फिर उन्होंने इस स्कूल के सभी शिक्षको और अभिभावकों के साथ एक बैठक की. बैठक में स्कूल को बेहतर करने का फैसला लिया गया. आज स्कूल के सभी शिक्षको के चंदे के पैसे से यहाँ पौधारोपण किया गया. सभी कमरे में पंखे लगाये गए. बच्चो को पीने के लिए आरओ मशीन, शौचालय का निर्माण और हैण्डवाश के लिए बेसिन लगाये गए. इस स्कूल में जब कोई अभिभावक बच्चो के प्रोग्रेस के बारे में जानकारी लेने आते है. तब वे यहाँ के मैनेजमेंट को देखकर खुश हो जाते है. प्राचार्य सुभाष सिंह के मुताबिक जब उनके स्कूल के किसी क्लास में बच्चे पढने नहीं आते. तब प्रत्येक क्लास से अनुपस्थित बच्चो की सूचि बनायीं जाती है. फिर उस सूचि को लेकर स्कूल के शिक्षक और प्राचार्य प्रत्येक रविवार को बच्चो के घर जाते है. उनके अभिभावक को बच्चो की प्रोग्रेस रिपोर्ट सौपते है. और फिर उनके घर पर ही पेरेंट्स मिट का आयोजन किया जाता है. और यही वजह है की अब इस स्कूल में बच्चे पढने के लिए राजी ख़ुशी से आते है.
इस मामले में जिला शिक्षा पदाधिकारी संघमित्रा वर्मा ने कहा की इस स्कूल में बेहतर व्यस्था किया गया है. वहा गार्डनिंग भी की गयी है. इस स्कूल की जाँच कर वहा के शिक्षको और प्राचार्य को सम्मानित किया जायेगा.
कहते है की मन में कुछ करने की चाहत हो और लगन हो तो कुछ भी असंभव नहीं है. यही वजह है की इस स्कूल का बेहतर मैनेजमेंट आज लोगो के जुबान पर है और निजी स्कूल के लोग भी इससे से सीख ले रहे है.