गोपालगंज में मानसिक बीमारी से जूझ रहे मासूम को पेड़ में बांधकर रखने को मजबूर परिवार
गोपालगंज में मानसिक बीमारी से जूझ रहे 11 वर्षीय मासूम को जहा जानवरों की तरह पेड़ में बांधकर रखा जाता है। वही अपने बीमार बेटे की इलाज कराने की कौन कहे, यह पीड़ित परिवार जिन्दा रहने के लिए ज़िन्दगी की जद्दोजहद से जूझ रहा है। गोपालगंज से एक ऐसे परिवार की दास्ताँ जिसे देखकर शायद किसी के भी रोंगटे खड़े हो जाये।
आकाश कुमार , उम्र महज 11 साल, इस बच्चे को ध्यान से देखिये। अक्सर आपने जानवरों को ऐसे ही रस्सी के सहारे बंधा देखा होगा। लेकिन गोपालगंज के इस मासूम बच्चे की दास्ताँ शायद आपको सोचने पर मजबूर कर दे। सिधवलिया के सलेमपुर घाट गाँव के रहने वाले जनार्दन प्रसाद के 11 वर्षीय बेटे का मानसिक संतुलन ठीक नहीं है। वह अक्सर घर छोड़कर भाग जाता है। जिसकी वजह से इस बच्चे को सालों भर युही बाँध के किनारे पेड़ के नीचे ऐसे ही बांध कर रखा जाता है। पीड़ित परिवार के पास इतने पैसे भी नहीं है की अपने जिगर के इस टुकड़े को वे ढंग से एक कपडा भी पहना सके। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। जनार्दन प्रसाद परिवार का इकलौता सदस्य है। जो मजदूरी कर परिवार चलाता है। जो पैसे मिलते है। उसमे परिवार की दो जून की रोटी मुश्किल से मिल पाती है।
जनार्दन प्रसाद के मुताबिक उनके दो बेटे और एक बेटी है। सबसे बड़ा बेटा आकाश जब चार साल का था तब उसे बुखार हुआ। उस गंभीर बीमारी के बाद आकाश का बुखार तो ठीक हो गया। लेकिन उसका मानसिक संतुलन बिगड़ गया। वह मानसिक रूप से दिव्यांग हो गया। पीड़ित पिता के मुताबिक उनके पास जो भी जमा पूंजी थी। उन्होंने बीमारी में खर्च कर दिया। अब मुश्किल से घर चला पाना ही संभव नहीं है। ऐसे में वे अपने बेटे की बीमारी के इलाज कराने की सोच भी नहीं सकते।
पीड़ित आकाश की माँ सिन्धु देवी के मुताबिक उनका बेटा 7 साल से ऐसे ही पेड़ के नीचे बांधकर रखा जाता है। माँ के मुताबिक पड़ोसिओ से कुछ खाने को मिल जाता है तो वह अपने बेटे को चावल और नमक दे देती है। या फिर कभी कभी ऐसे ही भूखे पेट सोना पड़ता है।
पीड़ित परिवार ने मुखिया से लेकर वार्ड पार्षद से मदद की गुहार लगायी। लेकिन उसकी किसी ने नहीं सुनी।
खबर बनाने के दौरान हमने भी मुखिया और वार्ड पार्षद से मुलाकात कर उनसे इस मुद्दे पर बात करने की कोशिश की। लेकिन कोई उपलब्ध नहीं हो सका। वही इस मामले में डीएम ने आवाज़ टाइम्स की पहल पर मामले को गंभीरता से लिया है। डीएम अनिमेष कुमार पराशर ने कहा की मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चे के बेहतर इलाज का प्रबंध किया जा रहा है। मेडिकल की टीम भेजकर वहा का जायजा लिया गया। मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चे के इलाज के लिए उसे नजदीकी मेंटल अस्पताल में भेजा जायेगा। इसके साथ ही आर्थिक मदद भी की जाएगी। ताकि बच्चे का बेहतर इलाज हो सके और वह भविष्य में जल्द से जल्द ठीक हो जाये।
बहरहाल यह पीड़ित परिवार सरकार और प्रशासन से अपने बेटे के बेहतर इलाज और परिवार की आर्थिक हालात ठीक करने की गुहार लगा रहा है।