गोपालगंज

गोपालगंज मे निजी नर्सिंग होम में प्रसव के बाद चिकित्सको की लापरवाही से प्रसूता महिला की मौत

गोपालगंज में निजी नर्सिंग होम में प्रसव के बाद चिकित्सको की लापरवाही से प्रसूता महिला की जहा मौत हो गयी. वही मौत के बाद अस्पताल के सभी चिकित्सक और कर्मी नर्सिंग होम छोड़कर फरार हो गए. जिसके बाद परिजनों का आक्रोश भड़क गया. और आक्रोशित परिजनों ने अस्पताल में जमकर तोड़फोड़ की. घटना देर रात की नगर थाना के अरार मोड़ रोड की है. मृतक 25 वर्षीय प्रसूता महिला का नाम कुसुम देवी है. वह उचकागांव थाना के साखे तुलसिया गाँव के रहने वाले सुनील यादव की पत्नी थी.

पीड़ित सुनील यादव के मुताबिक उसकी पत्नी को प्रसव पीड़ा हुई थी. जिसे उन्होंने सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया. जहा सदर अस्पताल में मौजूद किसी दलाल ने प्रसूता को अरार मोड़ स्थित सत्यम हॉस्पिटल में भर्ती कराने की सलाह दी. जब पीडिता को निजी क्लिनिक में भर्ती कराया गया वहा गर्भवती महिला ने नवजात को जन्म दिया. बच्चे के जन्म के बाद जैसे ही परिजन खाना लेने के लिए अस्पताल से बाहर गए. इसी दौरान प्रसूता महिला की मौत हो गयी. मौत के बाद अस्पताल के सभी कर्मी और चिकित्सक अस्पताल के सभी लाइट ऑफ कर फरार हो गए. जिसके बाद आक्रोशित परिजनों ने सत्यम अस्पताल में जमकर तोड़फोड़ की और वहा खड़ी कार के शीशे भी फोड़ दिए. लोगो के हंगामा और तोड़फोड़ की वजह से मौके पर कई घंटे तक अफरातफरी का माहौल रहा. बाद में नगर थाना पुलिस के पहुचने पर मामला शांत हुआ.

नगर थानाध्यक्ष संजय कुमार ने कहा की उन्हें सुचना मिली की अरार मोड़ के पास किसी नर्सिंग होम में प्रसूता महिला की मौत के बाद लोग हंगामा कर रहे है. महिला की मौत हो गयी है. लेकिन उसका नवजात बच्चा जिन्दा है. नगर थानाध्यक्ष ने कहा की अभी तक किसी भी पक्ष के द्वारा कोई लिखित शिकायत नहीं दी गयी है. लिखित शिकायत के बाद आगे की कारवाई की जाएगी.

बता दे की गोपालगंज में यह पहली घटना नहीं है. जिसमे किसी नर्सिंग होम में इस तरह की घटना हुई है. इस घटना के एक सप्ताह पूर्व ही अरार रोड में प्रसव के दौरान महिला और गर्भ में पल रहे तीन मासूम नवजातो की मौत हो गयी थी. जिसमे अबतक कोई कारवाई नहीं हुई है.

इस मामले में जब सूबे के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय से पूछा गया तो उन्होंने कहा की सरकार अपनी तरफ से ऐसे लोगो को पकड कर कारवाई करती है. लेकिन जनता के अन्दर भी जागरूकता होनी चाहिए. ताकि लोग ऐसे झोला छाप चिकित्सकों के पास जाती ही क्यों है. लोग ऐसे क्लिनिक का बहिष्कार करे.

बहरहाल आये दिन दलालों के चक्कर में पड़ कर मरीजो की असमय मौत हो रही है. जिसपर सरकारी अंकुश जरुरी है.

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