गोपालगंज स्टेट बैंक कृषि विकास शाखा के गोल्ड लोन फर्जीवाड़ा का मास्टरमाइंड है सोनार
गोपालगंज जिले में कुछ दिनों पहले हुए गोल्ड लोन से पूरा जिला व सभी बैंक स्तब्ध हो गए थे। पर मामले की गहराई से छानबीन के बाद पता चला कि बैंक का मूल्यांकनकर्ता सतीश प्रसाद ही पूरे मामले का मास्टरमाइंड है। झुंड ही नकली सोना देकर बक भेजता और फिर उसे मूल्यांकन कर शुद्धता का प्रमाण-पत्र दे देता। जिससे बैंको को अभी तक लगभग 2.54 करोड़ का चूना लग चुका है। सोनार को इस बात की भनक लगने के बाद से ही वह बुधवार से दुकान बंद कर भूमिगत हो गया है।
भारतीय स्टेट बैंक में कृषि कार्य के लिए सोना बंधक रखकर ऋण लेने के की योजना लागू होने पर तत्कालीन शाखा प्रबंधक ने साक्षात्कार लेकर मेन रोड स्थित मुरलीवाला मार्केट में मनमोहन गहना लोक के प्रोपराइटर सतीश कुमार प्रसाद को मूल्यांकनकर्ता के रूप में अधिकृत किया। सतीश प्रसाद पूरी प्लानिंग के तहत बैंक में सक्रिय दलालों के माध्यम से अपने नेटवर्क को मजबूत कर अपने ही दुकान से नकली सोना ऋण धारकों को देकर उसे कृषि गोल्ड लोन लेने के लिए बैंक भेजा। बैंक में मूल्यांकन भी खुद किया और सभी सोना को शुद्धता की प्रमाणपत्र भी दिया। इसके एवज में कई ऋण धारकों के एटीएम कार्ड और बैंक पासबुक भी दलाल और सतीश प्रसाद मिल रख लिये। यह ऋण की राशि 50 फीसदी ही ऋणियों तक पहुंच पाया। सतीश प्रसाद अब भूमिगत हैं। बैंक अधिकारी और पुलिस दोनों उसकी तलाश कर रहे हैं।
बैंक अधिकारी ने दलालो व मूल्यांकनकर्ता के साथ मिलकर न सिर्फ बैंक को बल्कि सरकार को भी चुना लगाया है। सरकार ने किसानों को महाजनों से मुक्ति दिलाने के लिए इस योजना की शुरुआत किया था। इस योजना के तहत किसानों को सोने के बदले 4 प्रतिशत की दर से ब्याज देकर लोन लेना था। लेकिन बैंक अधिकारियों ने इसे किसानों के बदले कारोबारियों के बताकर उन्हें ड्वेन शुरू कर दिया जिससे सरकार व बैंक को लगभग 7 प्रतिशत की दर से ब्याज का भी नुकसान झेलना पड़ा। चूंकि कारोबारियों को बैंक से लोन 11 प्रतिशत की ब्याज दर से मिलता है जबकि इस योजना के तहत उन्हें सिर्फ 4 प्रतिशत ही भुगतान करना पड़ता था।
कृषि गोल्ड लोन में फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद बैंक का इंटरनल जांच जारी है। बैंक के वरीय अधिकारी जांच में पूरे दिन जुटे रहे। रिजनल ऑफिस से लेकर मुख्यालय तक से पल- पल की जानकारी ली जा रही है। एक-एक ऋण एकांउट कर मॉनीटरिंग की जा रही हैं। बैंक अधिकारियों को पूरा जोर है कि हर हाल में ऋणियों से राशि का जमा करा ली जाय। स्टेट बैंक के एडीबी शाखा में सोमवार को बैंक खुलते ही ग्राहक पहुंचकर अपना लेन देन करने लगे, जबकि मुख्य शाखा प्रबंधक शैलेंद्र कुमार एक-एक बैंक एकाउंट की फिडबैक अधिकारियों को देने में जुटे रहे। इस मामले को लेकर पुलिस भी बेसुध दिख रही है क्योंकि मामले की प्राथमिकी दर्ज करने के बाद पुलिस जांच पड़ताल भी शुरू नहीं की है। इसका लाभ फर्जीवाड़ा में लिप्त लोग उठा रहे है। बैंक के अधिकारियों की माने तो पुलिस को जब इस कांड की सूचना दी गयी। तत्काल कार्रवाई हुई रहती तो इस कांड का मास्टरमाइंड सतीश प्रसाद गिरफ्त में होता। बैंक ने नगर थाने में 78 ऋणियों और इस कांड के मास्टर माइंड सोना मूल्यांकनकर्ता के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई है ।