गोपालगंज : खाना बनाने तक सीमित ग्रामीण महिलायें, हुनर से बनी स्वालम्बी
कौन कहता आसमान मे सुराख नही हो सकता, एक पत्थर तबीयत से उछालों यारों। सचमुच इस उक्ति को गोपालगंज जिले के फैजुल्लाहपुर और दिघवा उतर पंचायत की फैजुल्लाहपुर और मठिया गांव की महिलाओं ने चरितार्थ कर दिखाया है।
कल तक जिन कोमल हाथों से केवल खाना बनता था आज उन हाथों मे हुनर है। कल तक बेकार पड़ी हाथों मे आज रोजगार है और इन हाथों से परिवार का भरणपोषण होता है। बेकार पड़े इन नरम हाथों को जीविका ने जीने की कला सिखा दिया है। इन महिलाओं ने ग्रुप बना कर समाज के सामने जो मिशाल पेश किया वह सचमुच अनुकरणीय और समाज के लिए प्रेरणास्त्रोत है। फैजुल्लाहपुर गांव की रहनेवाली नीतू देवी, बबीता देवी, बेबी देवी ने नारी सशक्तिकरण का जीवंत चित्र प्रस्तुत किया है। दुर्गा समूह की ये महिलाएं लोकलाज की परवाह किए बिना जीविका के सहयोग से अपना रेडमेड गारमेन्ट, किराना, जेनरल स्टोर खोलकर अपने को स्वावलम्बी बनाकर अपने परिवार का भरणपोषण कर रही हैं।
बेबी देवी दिव्यांग हैं पर वे अपना किराना दूकान खोलकर समाज को एक नयी दिशा दे रही है. इसी प्रकार मठिया गांव की मीना देवी, कांति देवी, कमली देवी सहित चार दर्जन से अधिक ग्रामीण महिलाएं रूढीवादी विचारों को छोड़ आज पुरूषों के समान टोकरी बना कर अपनी आजीविका चला रही हैं तथा समाज की कुठिंत विचार रखने वाली महिलाओं को आगे आने का संदेश दे रही हैं।