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कलेक्टर ने अपनी बच्ची का सरकारी स्कूल में एडमिशन करवाकर पेश की मिसाल

आपने अक्सर देखा और सुना होगा कि, बड़े और मध्यवर्गीय परिवार के लोग अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाने से परहेज करते हैं। यही नहीं सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की योग्यता और अनुशासनहीनता की खबरे अक्सर सुर्ख़ियों में रहती है। लोग प्राईवेट स्कूलों को ज्यादा तवज्जो देते है, लोगों का मानना होता है कि सरकारी स्कूलों मेें पढ़ाई का स्तर सही नहीं होता है। ऐसे में छत्तीसगढ़ से एक ऐसा मामला सामने आया है जो मिसाल के तौर पर पेश किया जा सकता है।

शिक्षा के मामले में बेहद संवेदनशील माने जाने वाले छत्तीसगढ के बलरामपुर जिले के कलेक्टर अवनीश कुमार शरण ने अपनी बच्ची का दाखिला जिले के ही सरकारी स्कूल में कराकर मिसाल पेश की है इतना ही नहीं इससे पहले उन्होंने अपनी बेटी को 9 माह तक आंगनबाड़ी में पढ़ाया था। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस बारें में उन्होंने कहा कि ये बात मीडिया के लिए एक खबर हो सकती है, लेकिन मेरे लिए तो सिर्फ एक कर्तव्य है।

इस पहल से हो सकता है लोग सरकारी स्कूलों की शिक्षा से जुड़ें। साथ ही उन्होंने कहा कि, बलरामपुर में हाल ही में शुरू हुए प्रज्ञा प्राथमिक शाला में अपनी बेटी वेदिका शरण का पहली कक्षा में एडमिशन कराया है। इससे पहले उन्होंने अपनी बच्ची को एक साल तक आंगनबाड़ी में पढ़ने के लिए भेजा था।

गौरतलब है कि, जिस स्कूल में जिले के कलेक्टर के बच्चे पढ़ेंगे, उस स्कूल की शिक्षा का स्तर सुधरने की गुंजाइश बढ़ जाती है। लेकिन अब इस पहल से लगता है कि सरकारी स्कूलों की पढ़ाई पर उठ रही उंगलियां थम सकती है। कलेक्टर अवनीश कुमार शरण ने अपने मजबूत इरादों से प्रदेश के अन्य नौकरशाहों के बीच एक बडा संदेश दिया है।

ख़बरों के मुताबिक, बलरामपुर जिले में लोगों को शिक्षा के प्रति जागरुक करने के लिए ‘उड़ान’ और ‘पहल’ जैसी योजनाएं भी लॉन्च कीं इन योजनाओं की तारीफ खुद सूबे के मुखिया सीएम रमन सिंह कर चुके हैं।

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