भूख से रोते बच्चों के आगे हार गया युवक का साहस, लगाया मौत को गले
नोटबंदी की वजह से देश में मरने वालों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। भले ही इस बात को मोदी सरकार खारिज करती आ रही हो लेकिन ये सच है। नोटबंदी के वजह से कई कारखानों में ताले लगे हुए हैं जिसकी वजह से छोटे मजदूर बेरोजगार हो गए। नोटबंदी की मार का ताजा मामला यूपी से सामने आया है जहां एक युवक पर नोटबंदी की मार ऐसी लगी कि उसने आत्महत्या करना ही मुनासिब समझा।
नोटबंदी के बाद काम धंधा नहीं मिलने से परेशान जूता कारीगर हरीभान सिंह नाम के युवक ने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है। जानकारी के मुताबिक हरिभान घर में उधारी के राशन से अपना जीवन यापन कर रहा था, लेकिन तीन दिन से वह भी बंद हो गया। राशन नहीं होने की वजह से घर में चूल्हा तक नहीं जला था और उसका परिवार पाई-पाई के लिए मोहताज हो गया था। हरीभान को दुकानदारों ने उधार का सामान देने से मना कर दिया तो वह टूट गया। परिवार की स्थिति और अपने मासूम भतीजों को भूख से बिलखता देखकर हरिभान काफी आहत हो गया। पहले तो वह खूब रोया और अपने कमरे में चला गया और फिर अपने गले में फंदा लगाकर मौत को गले लगा लिया। शुक्रवार सुबह परिवार के सदस्यों ने उसका शव दुपट्टे से फंदे पर लटका देखा तो चीख निकल गई। सुसाइड की सूचना मिलते ही पुलिस वहां मौके पर पहुंच गई। शुरुआती जांच में पुलिस ने बताया कि युवक की मौत आर्थिक तंगी से हुई है।
जीवनी मंडी स्थित नगला परमा निवासी हरीभान सिंह (22) स्व. महेंद्र सिंह के घर का इकलौता कमाने वाला था। वह जूता कारखाने में काम करता था। उसके पड़ोसी दिलीप ने बताया कि पुराने 500 और एक हजार के नोट बंद होने के बाद हरीभान सिंह बेरोजगार हो गया था। कारखाने में काम बंद हो गया। हरीभान की मां श्यामवती और बहन अंजू है। वहीं बड़े भाई वेदप्रकाश को भी छह महीने पहले रेबीज हो जाने के बाद मौत हो गई थी। भाई वेदप्राकाश की पत्नी और चार बेटे हैं। इनमें आठ साल का विशाल, पांच साल का मोहित, चार साल का विवेक और एक एक महीने का बेटा आयुष है। चार बच्चों की जिम्मेदारी भी हरीभान पर ही आ गई थी। हरीभान नौकरी की तलाश कर रहा था। परिवार के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया। युवक की मौत के बाद परिवार में कोई भी कमाने वाला नहीं है।