गोपालगंज के विश्वम्भर पुर थाना को 28 साल बाद भी अपना भवन नसीब ना हो सका
गंडक गुण्डा और गन्ना कि समस्या से जुझ रहा गोपालगंज के आधा आबादी के सुरक्षा के लिए सरकार ने वर्ष 1988 में विश्वम्भर थाना बनाने की स्वीकृति दी थी। 28 साल बाद भी विश्वम्भर थाना को अपना भवन नसीब नहीं हो सका हैं। गंडक नहर के देख रेख करने वालों चौकीदारों के रहने के लिए बनाये गये छोटे से भवन में थाना का संचालन हुआ। जिस भवन में थाना चलता हैं उसमें गंडक नहर विभाग के कर्मचारी सिंचाई करने वाले किसानों से पटवन की वसूली करते थे। उसी भवन में थाना काम करने लगा।
चैकिदारों के रहने के लिए बनाये गये छोटे से कमरे में मालखाना और हाजात बनाया गया। आज स्थिति ऐसी हैं कि हल्की वारिश होने पर छत से पानी टपकने लगता हैं। भवन जर्जर हो चुकें हैं। जर्जर भवन में पुलिस पदाधिकारी नहीं बैठते हैं। उनको डर रहता हैं कि कब छत गिर जायेगा। छत के दिवार में दरारें पड़ गई हैं। विश्वम्भर थाना का काम बाहर बने झोपड़ी नुमा बंगला में चलता हैं।
विश्वम्भर थाना में गाड़ी तो हैं पर पर्याप्त डीजल नहीं मिलता जिस कारण गस्ती में गाड़ी कम ही निकल पाती हैं। वायरलेस हैं लेकिन बिजली के अभाव में बैटी चार्ज नहीं हो पता हैं। थाना में बिजली का तार लटके हैं। इस थाना को होण्डा जनरेटर बहुत पहले मिला था जो आज खराब पड़ा हैं। सरकार ने इस थाना के लिए 2 अवर निरीक्षक, 3 सहायक अवर निरीक्षक, एक हवलदार और 9 पुलिस बल तैनाती के लिए पद स्वीकृत किया हैं। लेकिन इस थाना में एक अवर निरीक्षक, एक सहायक अवर निरीक्षक और 4 होमगार्ड के बदौलत थाना को चलाया जा रहा हैं। दियारा के बड़ी आबादी के सुरक्षा के लिए दो पुलिस पदाधिकारी और चार पुलिस बल तैनात हैं।