कौन है निर्दोष भारतीय सैनिकों की हत्या का जिम्मेवार ?
साथियों, यह बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके अंधभक्तों को बुरी लग सकती है। लेकिन सच्चाई यही है। क्या कोई कल्पना कर सकता है कि केवल चार आतंकी पूरे आर्मी बेस को तबाह कर दें। ऐसा केवल फ़िल्मों में ही होता आया है। लेकिन दुर्भाग्य से रविवार को जम्मू-कश्मीर के उड़ी सेक्टर स्थित आर्मी के कैंप बेस में यही हुआ। अब इस मामले में गलती किसकी थी और आर्मी इंटेलिजेंस के वे कौन लोग थे जिनके कारण इतनी बड़ी चूक हुई, इसकी जानकारी भारतीय जनता को कभी नहीं मिलेगी। वजह यह कि कोई चाहकर भी भारतीय फ़ौज से जानकारी नहीं ले सकता है।
खैर देश के राजा नरेंद्र मोदी हैं। उनके ही कबीना के मंत्री गिरिराज सिंह ने नीतीश कुमार मंत्रिमंडल का सदस्य रहते हुए एक बार कहा था कि ताली सरदार को तो गाली भी सरदार को। इस कारण भी जवाबदेही नरेंद्र मोदी की बनती है। इसके अलावा नरेंद्र मोदी वही शख्स हैं जो पीएम बनने से पहले एक-एक भारतीय जवान के बदले पांच-पांच पाकिस्तानियों का सिर काटने का दंभ भरते थे। हालांकि उरी आतंकी हमले के बाद ट्वीट करते हुए नरेंद्र मोदी ने कड़े फ़ैसले लेने की बात कही है। दूसरी ओर उनके अंध समर्थक पारंपरिक और सोशल मीडिया में उन्हें तरह-तरह से सीधे-सीधे पाकिस्तान पर हमला करने को उकसा रहे हैं।
निश्चित तौर पर भारतीय सैनिकों की जान गयी है। पूरा देश मर्माहत है। लेकिन जज्बात के आगोश में बहने से पहले यह तो विचार किया ही जाना चाहिए कि आज जो जम्मू-कश्मीर में हालात हैं, उनके लिए कौन जिम्मेवार हैं? क्या ऐसे ही हमारे देश के सैनिक जान गंवाते रहेंगे? वहीं लगे हाथ यह भी विचार किया जाना चाहिए कि जम्मू-कश्मीर की जनता में जो असंतोष बड़ी तेजी से बढता जा रहा है, उसका समाधान क्या हो?
कभी-कभी तो हंसी आती है यह सोचकर कि हम ऐसे देश के वासी हैं, जहां सत्ता के शीर्ष पर बैठने वाले अपनी आत्मा के साथ-साथ देश भी बेच डालते हैं। इस तल्ख टिप्प्णी की वजह यह है कि आजादी के बाद से लेकर आजतक भारत की तरफ़ से यह कहा जाता रहा है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है लेकिन जम्म-कश्मीर के लोगों को खुले दिल से अपनाने की कोई पहल नहीं की गयी। लगभग हर हुकूमत ने इस विवाद को जिंदा रखा है। नरेंद्र मोदी का विशेष उल्लेख इसलिए कि उन्होंने जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटाने की बात कहकर पीएम बनने की अपनी मुहिम की शुरुआत की थी। धारा 370 ही वह धारा है जिसके तहत भारत में जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा हासिल है।
बहरहाल हमें यह कतई नहीं भूलना चाहिए कि झेलम और गंगा दोनों नदियों का पानी बहुत बह चुका है। पाकिस्तान अब वह पाकिस्तान नहीं रहा जिसपर सीधे हमला बोलकर उसे परास्त किया जा सकता है। हिन्दुस्तान और पाकिस्तान दोनों परमाणु शक्ति संपन्न देश हैं। यदि युद्ध की नौबत आयी तो खामियाजा दोनों देशों के लोगों को भोगना पड़ेगा। इसलिए अब समय आ गया है जब भारत को पूरी संवेदनशीलता के साथ कश्मीर विवाद को सुलझाने की पहल करनी चाहिए और यह केवल बातचीत के जरिए ही संभव है। पाकिस्तान पर हमला कर तो बिल्कुल भी नहीं। यह बात पाकिस्तानी हुक्मरानों को भी गांठ बांध लेनी चाहिए।