गोपालगंज: एक नवबर को मनेगा पति-पत्नी के अटूट रिश्ते का पर्व करवा चौथ, बन रहा है शिव योग
गोपालगंज: हिंदू धर्म में करवा चौथ का बड़ा ही महत्व है। यह व्रत हर साल कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन रखा जाता है। इस बार यह पर्व जिले में एक नवबर को मनाया जाएगा। इसे लेकर बाजारों में भी चहल पहल देखी जा रही है । इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और शाम के समय पूजा के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करती हैं। करवा चौथ का व्रत बहुत कठिन माना जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक उपवास रखती हैं। यह पर्व पति-पत्नी के अटूट रिश्ते की मिसाल है। कहा जाता है कि करवा चौथ का व्रत रखकर करवा माता की पूजा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है और वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है। आचार्य अजय कुमार पाण्डेय ने बताया कि इस साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 31 अक्तूबर मंगलवार को रात 9 बजकर 30 मिनट से हो रही है। यह तिथि अगले दिन 1 नवंबर को रात 9 बजकर 19 मिनट तक रहेगी। ऐसे में उदया तिथि और चंद्रोदय के समय को देखते हुए करवा चौथ का व्रत 1 नवंबर बुधवार को रखा जाएगा।
आचार्य के अनुसार 01 नवंबर को करवा चौथ वाले दिन चंद्रोदय 08 बजकर 26 मिनट पर होगा। वहीं इस दिन शाम 5 बजकर 44 मिनट से 7 बजकर 02 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त है। निर्धारित समय में पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है । माना जाता है कि वह महिला कभी विधवा नहीं होती है ।
अचार्य ने बताया कि 01 नवंबर को करवा चौथ के दिन सर्वार्थ सिद्धि और शिव योग का संयोग बन रहा है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 06 बजकर 33 मिनट से 02 नवंबर को सुबह 04 बजकर 36 मिनट रहेगा। इसके अलावा 01 नवंबर की दोपहर 02 बजकर 07 मिनट से शिवयोग शुरू हो जाएगा। इन दोनों शुभ संयोग की वजह से इस साल करवा चौथ का महत्व और बढ़ गया है।
करवा चौथ के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें। इसके बाद मंदिर की साफ-सफाई करके दीपक जलाएं। फिर देवी-देवताओं की पूजा अर्चना करें और निर्जला व्रत का संकल्प लें। शाम के समय पुनः स्नान के बाद जिस स्थान पर आप करवा चौथ का पूजन करने वाले हैं, वहां गेहूं से फलक बनाएं और उसके बाद चावल पीस कर करवा की तस्वीर बनाएं। इसके बाद आठ पूरियों की अठवारी बनाकर उसके साथ हलवा या खीर बनाएं और पक्का भोजन तैयार करें। इस पावन दिन शिव परिवार की पूजा अर्चना की जाती है। ऐसे में पीले रंग की मिट्टी से गौरी कि मूर्ति का निर्माण करें और साथ ही उनकी गोद में गणेश जी को विराजित कराएं। अब मां गौरी को चौकी पर स्थापित करें और लाल रंग कि चुनरी ओढ़ा कर उन्हें शृंगार का सामान अर्पित करें। मां गौरी के सामने जल से भरा कलश रखें और साथ ही टोंटीदार करवा भी रखें जिससे चंद्रमा को अर्घ्य दिया जा सके। इसके बाद विधि पूर्वक गणेश गौरी की विधिपूर्वक पूजा करें और करवा चौथ की कथा सुनें। कथा सुनने से पूर्व करवे पर रोली से एक सतिया बनाएं और करवे पर रोली से 13 बिंदिया लगाएं। कथा सुनते समय हाथ पर गेहूं या चावल के 13 दाने लेकर कथा सुनें। पूजा करने के उपरांत चंद्रमा निकलते ही चंद्र दर्शन के उपरांत पति को छलनी से देखें। इसके बाद पति के हाथों से पानी पीकर अपने व्रत का पारण करें।