गोपालगंज: मातृ एवं बाल सुरक्षा कार्ड के महत्व व प्रभावी उपयोग को लेकर किया जाएगा उन्मुखीकरण
गोपालगंज: गर्भवती माता एवं नवजात शिशु स्वस्थ समाज निर्माण की नींव हैं। राज्य में मातृ मृत्यु दर लक्ष्य के अनुसार 70 प्रति लाख जीवित जन्म लक्षित स्तर तक पहुंचने के लिए सरकार कृत संकल्पित है, इसलिए गर्भवती महिला एवं शिशु को स्वस्थ रखने के लिए अनेकों प्रकार के कार्यक्रम का संचालन कर रही । गर्भवती महिला एवं नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य के संबंध में जागरूकता बढ़ाने और स्वास्थ्य सेवा को सुनिश्चित करने में मातृ एवं बाल सुरक्षा कार्ड काफी मददगार है। मातृ एवं बाल सुरक्षा कार्ड के महत्त्व एवं प्रभावी उपयोग को लेकर स्वास्थ्य कर्मियों का उन्मुखीकरण किया जाएगा। राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक सह स्वास्थ्य सचिव संजय कुमार सिंह ने पत्र जारी कर सभी सिविल सर्जन को आवश्यक दिशा निर्देश दिया है।
89.5 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं को एमसीपी कार्ड उपलब्ध : राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण- 5 2019-20 के आंकड़ों के अनुसार राज्य में 89.5 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं को मातृ एवं बाल सुरक्षा कार्ड उपलब्ध है, किंतु गर्भवती महिलाओं का 4 प्रसव पूर्व जांच मात्र 25.2 प्रतिशत हुआ है जो लक्ष्य से काफी कम है। मातृ एवं बाल सुरक्षा कार्ड में स्वास्थ्य संबंधित सूचकांकों की जानकारी के आधार पर विभिन्न सर्वे की रिपोर्ट दी जाती है जो राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं के प्रभावी होने तथा विभिन्न सूचकांकों में राज्य की उपलब्धि को दर्शाता है। प्रत्येक माह 09 एवं 21 तारीख को आयोजित प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के दिन एएनसी जांच के लिए आयी गर्भवती महिलाओं को दी गई मातृ एवं बाल सुरक्षा कार्ड की समीक्षा में भी पाया गया है कि गर्भवती महिलाओं एवं नवजात शिशु को दी जाने वाली सेवाओं की जानकारी एमसीपी कार्ड में पूर्ण रूप से अंकित नहीं होने के कारण उन्हें आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं ससमय उपलब्ध कराने में कठिनाई हो रही है।
प्रभावी उपयोग के लिए दिया जाएगा प्रशिक्षण : मातृ एवं बाल सुरक्षा कार्ड के प्रभावी उपयोग को लेकर प्रशिक्षण दिया जाएगा। कार्यपालक निदेशक ने जारी पत्र में कहा है कि राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा मातृ एवं बाल सुरक्षा कार्ड में सही व पूर्ण जानकारी अंकित करने के लिए संबंधित पदाधिकारियों, कर्मियों तथा फ्रंटलाइन वर्करों को वर्चुअल माध्यम से उन्मुखीकरण किया किया जायेगा। 1 अगस्त को यह प्रशिक्षण पूरे राज्य में दिया जाएगा। जिले से एसीएमओ, डीआईओ, डीपीओ आईसीडीएस, आरपीएम, डीपीएम, डीसी,एम एचएम, एमवओआईसी, बीएचएम, बीसीएम, एनएम तथा डेवलपमेंट पार्टनर के प्रतिनिधि शामिल होंगे।