गोपालगंज

गोपालगंज: पोषण पखवाड़ा पर विशेष: मोटे अनाज के प्रति जागरूकता के लिए ऑनलाइन क्विज प्रतियोगिता

गोपालगंज: संतुलित और पौष्टिक भोजन के रूप में मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए समेकित बाल विकास सेवा निदेशालय (आई.सी.डी.एस.) ने अनोखी पहल की है। आईसीडीएस ने जन-जन को इसके लाभ से अवगत कराने के लिए ऑनलाइन क्विज प्रतियोगिता आयोजित की है। इसमें कुल बीस प्रश्नों के उत्तर देने होंगे और उसके बाद उत्तीर्ण होने पर प्रतिभागी के ईमेल पर प्रिंट कराने योग्य ई-सर्टिफिकेट प्राप्त होगा। इस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए https://forms.gle/w6kyLxaXaSaguXLL6 लिंक पर क्लिक करना होगा।

सूबे में अभी पोषण पखवाड़ा चल रहा है। यह 20 मार्च को शुरू हुआ था और यह 3 अप्रैल तक चलेगा। इस पखवाड़े में आम लोगों को मोटे अनाज यानी “श्री अन्न” (ज्वार, बाजरा, मड़ुआ, कोदो, कुटकी आदि) को अपने मुख्य भोजन में शामिल करने के लिए जागरूक किया जा रहा है। इसके लिए जागरूकता के तरह-तरह के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इस कड़ी में ऑनलाइन क्विज प्रतियोगिता नई पहल है जिसमें किसी भी उम्र का कोई भी व्यक्ति भाग ले सकता है।

इस क्विज प्रतियोगिता के लिए जारी लिंक पर क्लिक करते ही एक गूगल फॉर्म खुलता है। इसमें प्रतिभागी को सबसे पहले अपने बारे में सामान्य जानकारी देनी होती है, जैसे अपना ईमेल, नाम, जिले का नाम, मोबाइल नंबर आदि। उसके बाद बीस सवालों वाले प्रश्न-पत्र का पिटारा खुलता है। ये सभी बहुविकल्प वाले प्रश्न होते हैं तथा प्रतिभागी को इसमें से सही उत्तर चुनना होता है। इस प्रक्रिया में बमुश्किल पाँच मिनट का समय लगता है। क्विज में उत्तीर्ण होने पर प्रिंट कराने योग्य ई-सर्टिफिकेट ईमेल पर भेजा जाता है।

आई.सी.डी.एस. के निदेशक कौशल किशोर ने इस सम्बन्ध में बताया कि मोटे अनाज या श्री अन्न का उपयोग केवल शारीरिक पोषण के लिए ही नहीं, सबल राष्ट्र के निर्माण के लिए भी जरूरी है। स्वस्थ शरीर, संतुलित शारीरिक विकास और शारीरिक अंगों के ठीक से काम करने के लिए ये बेहद जरूरी है। ऐसा करने से हम अस्पताल के खर्च और दवाई से काफी समय तक बचे रह सकते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को विशेष रूप से इसे समझने की जरूरत है। उन्होंने आम लोगों से मोटे अनाज जैसे ज्वार, बाजरा, मड़ुआ, कोदो, कुटकी जैसे सर्वसुलभ श्री अन्न का उपयोग बढाने और अपने मुख्य भोजन का हिस्सा बनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि ऐसा करके हम अपने पोषण के स्तर को तो बढ़ाएंगे ही. साथ ही देश के किसानों और स्थानीय बाजार को भी उन्नत और लाभकारी बनाने में सहयोग करेंगे। उन्होंने जीवन शैली ठीक करने, आचार-व्यवहार जलवायु के अनुकूल बनाने और पोषण संबंधी भ्रांतियों को दूर करने की बात कही।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected By Awaaz Times !!