गोपालगंज: जेल में बंद कैदियों में टीबी होने का जोखिम अधिक, जांच एवं उपचार होगी सुनिश्चित
गोपालगंज: टीबी उन्मूलन को लेकर विभिन्न स्तर पर प्रयास किया जा रहा है। इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग प्रतिबद्ध है। इसी कड़ी में टीबी के प्रति जन-जागरूकता फैलाने के लिए विशेष अभियान चलाने का निर्णय लिया गया है। विश्व टीबी दिवस पर जेल में बंद कैदियों में टीबी की जांच, उपचार तथा जागरूकता के लिए विशेष अभियान चलाया जायेगा। इसको लेकर राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, यक्ष्मा विभाग पटना , डॉ. बाल कृष्ण मिश्र के द्वारा पत्र जारी किया गया है। जिसमें कहा गया है कि भारत में प्रतिवर्ष लगभभ 5,24,000 लोगों की मौत टीबी के कारण होती है। जो दुनिया के अन्य देशों से ज्यादा है। जेल में रह रहे बंदियों में जन सामान्य की अपेक्षा टीबी होने का ज्यादा जोखिम होता है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अपर सचिव एवं मिशन निदेशक के द्वारा निदेशित है कि जेल में रह रहे कैदियों को उच्च जोखिम मानते हुए टीबी की पहचान, जांच एवं उपचार की निरन्तरता सुनिश्चित की जाये।
जन-जागरूकता के लिए जेल में चलेगा विशेष अभियान: जारी पत्र में कहा गया है कि 24 मार्च को विश्व यक्ष्मा दिवस के अवसर पर राज्य के सभी जेलों में बंदियों एवं कर्मियों के बीच टीबी के बारे में व्यापक जानकारी हेतु जागरूकता कार्यक्रम तथा 25 मार्च से 13 अप्रैल के बीच जिला यक्ष्मा केंद्र के कर्मियों के माध्यम से लक्षणों के आधार पर स्क्रीनिंग कर टीबी की जांच, उपचार सुनिश्चित की जानी है।
सरकारी अस्पतालों में इलाज की सुविधा नि:शुल्क: टीबी का इलाज संभव है। सरकार की तरफ से इलाज बिल्कुल मुफ्त है। इसलिए टीबी के लक्षण दिखे तो संकोच नहीं करें। तत्काल अस्पताल आकर अपनी जांच करवाएं। जांच में अगर टीबी होने की पुष्टि होती है तो दवा लेकर तत्काल इलाज शुरू करवा लें। इससे आप जल्द स्वस्थ हो जाएंगे। जितना देर कीजिएगा ठीक होने में उतनी देरी होगी। इसलिए लक्षण दिखने पर तत्काल जांच कराने के लिए अस्पताल आ जाएं|
टीबी (क्षयरोग) के लक्षण:
- लगातार 3 हफ्तों से खांसी का आना और आगे भी जारी रहना
- खांसी के साथ खून का आना
- छाती में दर्द और सांस का फूलना
- वजन का कम होना और ज्यादा थकान महसूस होना
- शाम को बुखार का आना और ठंड लगना
- रात में पसीना आना।