गोपालगंज: जिस यज्ञ में ब्रम्हा, विष्णु महेश का अनादर हो वह कभी सफल नहीं होगा : प्रियंका द्विवेदी
गोपालगंज: इस कलियुग में श्रीराम चरित मानस कथा के समान मन शुद्धि का सबसे महान उपाय कोई और नहीं है। शांत और एकांत मनोयोग से श्रीराम कथा सुनने से मनुष्य को आत्मिक रूप से शांति मिलती है। उक्त बातें पंचदेवरी के श्री राम जानकी मंदिर परिसर जमुनहां में 24 फरवरी से चल रहे श्री सहस्र चंडी महायज्ञ के छ्ठे दिन कथा वाचिका मानस कोकिला प्रियंका द्विवेदी ने कही।
उन्होंने कहा कि भक्तों द्वारा की जाने वाली भक्ति से देवों के देव महादेव बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और वह अपने भक्तों के संकटों को हरने के साथ-साथ उनकी इच्छा को भी पूर्ण करते हैं। जिस यज्ञ में ब्रह्मा, विष्णु, महेश का अनादर होता है वह यज्ञ किसी भी सूरत में पूरा नहीं होता और न ही वह मांगलिक होता है।
वाचिका ने श्रद्धालुओं से कहा कि माता सती के पिता दक्ष ने यज्ञ का आयोजन किया था। इस यज्ञ में उन्होंने भगवान शिव को निमंत्रण नहीं दिया और माता सती बिना निमंत्रण के ही यज्ञ में पहुंच गई। लेकिन वहां भगवान शिव को देख सती के पिता राजा दक्ष गुस्से से लाल पीले हो गए और उन्होंने भगवान शिव का अनादर किया।भगवान शिव के अनादर को माता सती बर्दाश्त नहीं कर सकीं और उन्होंने अग्निकुंड में कूदकर अपना शरीर अग्निदेवता को समर्पित कर दिया। बाद में उन्होंने माता पार्वती के रूप में जन्म लिया और भगवान शंकर से उनका विवाह हुआ। ब्रह्मा, विष्णु, शिव ये तीनों एक हैं।
मौके पर समिति के अध्यक्ष उपेन्द्र मिश्र, मुखिया अशोक गुप्ता, रवि रंजन श्रीवास्तव,मणि पाण्डेय, जयराम गुप्ता, अशोक जायसवाल, नरसिंह कुशवाहा, नंदकिशोर तिवारी , डॉ बाबुलाल सिंह, सुनील गुप्ता, रितेश पाण्डेय, बलिराम सिंह, विवेक तिवारी, निराला बाबा, सुरेन्द्र पाण्डेय, प्रदुम्न मिश्र, राजीव केशरवानी, नीरज जायसवाल, अशोक जायसवाल, संदीप केशरी, बालक मिश्र सहित कथा सुनने के लिए पंडाल में पुरुषों के साथ ही सैकड़ों महिला भक्त भी मौजूद रहीं।