गोपालगंज के थावे में अपने भाइयों की मंगल कामना के लिए बहनों के द्वारा मनाया गया पीड़िया व्रत
गोपालगंज के थावे प्रखण्ड में लड़कियों द्वारा मनाया गया पीड़िया व्रत शुक्रवार के सुबह समाप्त हो गया। यह व्रत को लेकर भोर में ही लड़कियां टेम्पू , टैक्टर व चारपहिया वाहन से साउंड बजातें हुए तालाब पर पहुँची। जहाँ पीड़िया को तालाब में बहा दिया गया। जिसको लेकर थावे पोखरा व इटवा पुल सहित ग्रमीणों तालाबो पर काफी भीड़ थी।
अन्य व्रत एक या दो दिन मे समाप्त हो जाते हे लेकिन पिडिया व्रत की यह विशेषता है कि यह पूरे एक मास तक चलता रहता है। कार्तिक मास के शुक्ल प्रतिपदा से यह व्रत प्रारम्भ होता है और अगहन शुक्ल प्रतिपदा को समाप्त होता है। इस प्रकार यह पर्व एक मास तक रहता है। कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन गोधन की जो गोबर की मूर्ति बनाकर उनकी पूजा की जाती है उसी गोबर मे से थोडा सा अंश लेकर कुवारी लडकियाँ पिडिया लगाती है। गोबर के छाटे छोटे पिण्ड को ही पिडिया कहा जाता है।घर की भीतरी दीवाल पर गोबर की छोटी-छोटी सैकडो पिण्डिया मनुष्य की आकृतिजैसी बनाई जाती है
यह व्रत बहन के द्वारा अपने भाई की मंगल कामना के लिए किया जाता है। यह पर्व केवल कूवारी कन्याये ही करती है।यह पर्व पूरे एक मास तक चलता रहता है। अगहन शुक्ल प्रतिपदा को पिंडिया की समाप्ति होती है। इस दिन लडकियो नये चावल और नये गुड से बनी हुई खीर खाती है। दूसरे दिन दीवाल पर चिपकायी गयी उन पिडियो उखाड़ कर किसी तालाब या पोखर में बहा देती है। पिडिया का व्रत बहिनो के द्वारा अपने भाई के प्रति अटूट प्रेम का प्रतीक है।