गोपालगंज: फाइलेरिया के मरीजों को दिया गया मोर्बिडिटी मैनजमेंट एंड डिसेबिलिटी प्रीवेन्शन का प्रशिक्षण
गोपालगंज: फाइलेरिया ग्रसित मरीजों को शरीर के अंगों को सामान्य पानी व साबुन से नियमित साफ-सफाई करनी चाहिए। इसके साथ ही चिकित्सक द्वारा बताए गए व्यायाम को करने से सूजन नहीं बढ़ती। नियमित व्यायाम करने से सामान्य जीवन व्यतीत करने में सहायता मिलती है। जिले के सिधवालिय प्रखंड में करस घाट फाइलेरिया रोगी सहायता समूह को मोर्बिडिटी मैनजमेंट एंड डिसेबिलिटी प्रीवेन्शन (एमएमडीपी) प्रशिक्षण दिया गया तथा जिला मलेरिया कार्यालय से किट वितरण किया गया। कार्यक्रम में फाइलेरिया ग्रसित सभी मरीजों को स्वउपचार किट देने के साथ ही उन्हें उसपर ध्यान रखने के लिए आवश्यक उपायों की जानकारी दी गई। कार्यक्रम का उद्घाटन करस घाट के मुखिया मुन्ना कुंवर के द्वारा किया गया। जिसमें कुल 26 रोगियों को प्रशिक्षत किया गया तथा 20 रोगियों के बीच किट का वितरण किया गया। भीडीसीओ प्रशांत कुमार ने फाइलेरिया को लेकर व्याप्त भ्रांतियों को दूर किया और झाड़-फूंक से बचते हुए उपचार कराने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि फाइलेरिया ग्रसित मरीज दवा का कोर्स करे तो फाइलेरिया के संक्रमण को रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस बीमारी में हाथ और पैर हाथी के पांव जितने सूज जाते हैं इसलिए इस बीमारी को हाथीपांव कहा जाता है। फाइलेरिया संक्रमण के लक्षण कई सालों तक नजर नहीं आते। फाइलेरिया न सिर्फ व्यक्ति को दिव्यांग बना देती बल्कि इससे मरीज की मानसिक स्थिति पर खराब प्रभाव पड़ता है। कार्यक्रम में जिला मलेरिया कार्यालय से भीडीसीओ प्रशान्त कुमार तथा सीफार की जिला समन्वयक नेहा कुमारी तथा प्रखंड समन्वयक अमित कुमार , शुभ करण कुमार उपस्थित रहे।
क्यूलेक्स मच्छर काटने से होता है फाइलेरिया: सीफार की जिला समन्वयक नेहा कुमारी ने बताया कि फाइलेरिया क्यूलेक्स मच्छर काटने की वजह से होता है। इस मच्छर के काटने से पुवेरिया नाम के परजीवी शरीर में प्रवेश कर जाते और इस वजह से यह रोग होता है। वयस्क मच्छर छोटे-छोटे लार्वा को जन्म देते हैं, जिन्हें माइक्रो फाइलेरिया कहा जाता है। यह मनुष्य के रक्त में रात के समय एक्टिव होता है। इस कारण स्वास्थ्य टीम रात में ही पीड़ित का ब्लड सैंपल लेती हैं। मार्बिडिटी मैनेजमेंट किट प्रदान किया गया ताकि मरीज घर पर रहकर ही खुद अपनी देखभाल कर सकता है।
फाइलेरिया से बचाव
- फाइलेरिया चूंकि मच्छर के काटने से फैलता है, इसलिए बेहतर है कि मच्छरों से बचाव किया जाए। इसके लिए घर के आस-पास व अंदर साफ-सफाई रखें।
- पानी जमा न होने दें और समय-समय पर कीटनाशक का छिड़काव करें। फुल आस्तीन के कपड़े पहनकर रहें।
- सोते वक्त हाथों और पैरों पर व अन्य खुले भागों पर सरसो या नीम का तेल लगा लें।
- हाथ या पैर में कही चोट लगी हो या घाव हो तो फिर उसे साफ रखें। साबुन से धोएं और फिर पानी सुखाकर दवाई लगा लें।
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