गोपालगंज

गोपालगंज: अब बाढ़ की तबाही से लोगो को मिलेगी निजात, जियो ट्यूब स्टर्ड से नदी बदलेगी अपना रुख

गोपालगंज: नदी के रुख बदलने व बाँध की मजबूती के लिए बिहार में पहली बार जिले के पतहरा छरकी पर जियो स्टर्ड ट्यूब लगाए गए है। जो नदी के रुख को बदल कर बाँध को सुरक्षित रखने में मदद करेगा। जिससे बाढ़ की ताबाही को रोका जा सकता है। जल संसाधन व बाढ़ नियंत्रण विभाग द्वारा कटाव रोकने के लिए नया तरीका अपनाया है और यह पहली बार जिले के गंडक नदी के किनारे पतहरा छरकी पर लगाकर इसकी सफल टेस्टिंग की गई। बाढ़ की मार झेल रहे लोगों के लिए ये एक अच्छी खबर है।

बता दे की पहली बार बिहार में बाढ़ सुरक्षा के लिए जियो ट्यूब स्टर्ड बनाए जा रहे हैं। जो टेस्टिंग के लिए पांच अदद ट्यूब का निर्माण किया गया है। ये ट्यूब पक्के तटबंध की तरह काम करेंगे। इस ट्यूब के निर्माण में नदी के बीच से सैलरी निकाल कर ट्युब भरा जाएगा। जिससे नदी की गहराई भी होगी और ट्यूब के लिए आवश्यकतानुसार सैलरी भी निकाली जायेगी। साथ ही ट्रेडिशनल माध्यम से कराए जा रहे कार्य से सस्ता भी होगा। इस सन्दर्भ में बाढ़ नियंत्रण व जलसंसाधन विभाग के मुख्य अभियंता प्रकाश दास ने बताया कि नदी के रुख बदलने के लिए पहले ट्रेडिशनल तरीक़े से किया जाता था। लेकिन इस बार नए टेक्नोलॉजी द्वारा नदी के रुख बदलने के लिए बिहार में पहली बार टेस्टिंग के लिए जियो ट्यूब स्टर्ड का निर्माण कराई गई। अभी फिलहाल 5 स्टर्ड का निर्माण कराया गया है, जो काफी कारगर साबित हुआ। अगले साल अन्य जगहों पर लगाई जाएगी। उन्होंने बताया कि एक ट्युब में करीब 53 टन सैलरी भरा जाता है इसके निर्माण में लागत की बात करें तो एक ट्युब में लगभग एक लाख व एक स्टर्ड बनाने में करीब दस लाख खर्च होते है। वर्तमान में टेस्टिंग के लिए 54 लाख के लागत से पाँच स्टर्ड के लिए 12 ट्युब लगाए गए है। जो काफी कारगर साबित हुआ।

बता दें की जिले में बाढ़ की समस्या नासूर बनी हुई है। हर साल बरसात के दिनों में बाढ़ से भारी तबाही मचती है। सैकड़ों लोग बाढ़ की भेंट भी चढ़ चुके हैं। हजारों एकड़ कृषि भूमि नदी में समा चुकी है। हर साल विभाग द्वारा करोड़ों रुपए की लागत से कटाव रोकने के लिए बालू से भरे जियो बैग लगाए जाते हैं जो बाढ़ में बह जाते हैं। इस बार विभाग गंडक से होने वाले कटाव को रोकने के लिए नया तरीका अपना रहा है। जियो ट्युब निर्माण के लिए नाव में लगी पानी, सिल्ट खींचने की मोटर को नदी के सिल्ट, पानी वाले स्थान पर लगाया जाता है। पंप द्वारा पानी के भीतर से सिल्ट को खींचकर बैग में भरा जाता है और बैग से पानी निकलने के बाद वह ठोस होकर स्टर्ड बनता है।

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