गोपालगंज: फाइलेरिया है घातक बीमारी, सजगता हीं बचाव का बेहतर उपाय, आस-पास रखें साफ-सफाई
गोपालगंज: फाइलेरिया एक घातक बीमारी है। ये साइलेंस रहकर शरीर को खराब करती है। यही कारण है कि इस बीमारी की जानकारी समय पर नहीं हो पाती। हालांकि सजगता से फाइलेरिया बीमारी से बचा जा सकता है। आप भी जानें कि इस रोग के क्या लक्षण हैं। चिकित्सक यहां यह भी बता रहे हैं कि इस घातक बीमारी से हम कैसे बच सकते हैं। इस खबर के माध्यम से हम आपको इस रोग से संबंधित पूरी जानकारी दे रहे हैं।
व्यक्ति को विकलांग बना देती है फाइलेरिया बीमारी: जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. सुषमा शरण ने बताया कि आमतौर पर फाइलेरिया के कोई लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते। हालांकि बुखार, बदन में खुजली और पुरुषों के जननांग और उसके आस-पास दर्द व सूजन की समस्या होती है। इसके अलावा पैरों और हाथों में सूजन, हाइड्रोसील (अंडकोषों की सूजन) भी फाइलेरिया के लक्षण हैं। चूंकि इस बीमारी में हाथ और पैरों में हाथी के पांव जैसी सूजन आ जाती है, इसलिए इस बीमारी को हाथीपांव कहा जाता है। वैसे तो फाइलेरिया का संक्रमण बचपन में ही आ जाता है, लेकिन कई सालों तक इसके लक्षण नजर नहीं आते। फाइलेरिया न सिर्फ व्यक्ति को विकलांग बना देती है बल्कि इससे मरीज की मानसिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।
सजगता हीं बचाव का बेहतर उपाय: डीएमओ ने कहा कि फाइलेरिया एक ऐसी बीमारी है जिसका न तो स्थायी इलाज है और न ही इससे किसी की मौत होती है, लेकिन बीमारी बढ़ने के साथ शारीरिक अपंगता बढ़ती जाती है। इसे निग्लेक्टेड ट्रापिकल डिजीज की श्रेणी में शामिल किया गया है। दिव्यांगता बढ़ने के साथ व्यक्ति कामकाज में अक्षम हो जाता है। कमाऊ व्यक्ति के अपंग होने की दशा में परिवार पर इसका दुष्प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि बीमारी से बचाव ही सबसे अच्छा रास्ता है। लगातार पांच साल तक साल में एक बार दवा के सेवन से व्यक्ति इस बीमारी से सुरक्षित रह सकता है। दवा खा चुके व्यक्ति में अगर फाइलेरिया के माइक्रो फाइलेटी होते हैं तो वह निष्क्रिय हो जाते हैं तथा उससे किसी अन्य के संक्रमित होने की आशंका नहीं रह जाती है।
ऐसे करें फाइलेरिया से बचाव
- फाइलेरिया चूंकि मच्छर के काटने से फैलता है, इसलिए बेहतर है कि मच्छरों से बचाव किया जाए। इसके लिए घर के आस-पास व अंदर साफ-सफाई रखें
- पानी जमा न होने दें और समय-समय पर कीटनाशक का छिड़काव करें। फुल आस्तीन के कपड़े पहनकर रहें
- सोते वक्त हाथों और पैरों पर व अन्य खुले भागों पर सरसों या नीम का तेल लगाएं
- हाथ या पैर में कहीं चोट लगी हो या घाव हो तो उसे साफ रखें। साबुन से धोएं और फिर पानी सुखाकर दवा लगाएं।