गोपालगंज: 90 फिसदी प्राथमिक एवं मध्य विद्यालय में स्कूलों में बस नाम के है बाल संसद व मीना मंच
गोपालगंज के 90 फिसदी प्राथमिक एवं मध्य विद्यालय में बच्चों के बीच गठित बाल संसद व मीना मंच की क्रियाशीलता विद्यालय में नहीं दिखती है। संकुल संसाधन समन्वयक एवं विद्यालय के प्रधानाध्यापक बच्चों के इस दोनों मंच का गठन तो करते हैं लेकिन यह सर्वशिक्षा अभियान को भेजे प्रतिवेदन से बाहर सरजमीं पर नहीं दिखता है। जिसके कारण उसके सार्थक परिणाम गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एवं शिक्षा के प्रसार के रूप में नहीं हो रहा है। स्कूल में अनुशासन, स्वच्छता, सौंदर्यीकरण, पुस्तकालय, विज्ञान सांस्कृतिक गतिविधि, खेलकूद, बाल संसद के योगदान से सार्थक परिणाम दे सकता है।
स्कूल में गठित बाल संसद बच्चों के बीच अलग-अलग विभागों का बंटवारा कर एक मंत्रिमंडल जैसा काम करता है। बाल संसद में प्रधानमंत्री द्वारा हर 15 से 30 दिनों के बीच मंत्री की बैठक बुलाई जाती है। बैठक बुलाकर सभी मंत्रियों के विभागों की कार्यों की समीक्षा एवं कार्य योजना तैयार किया जाता है। विद्यालय शिक्षा समिति की बैठक में भाग लेकर प्रधानमंत्री या बाल संसद के कोई मंत्री स्कूल की आवश्यकता को पूरा करने का आग्रह करते हैं। स्कूल में चेतना सत्र और नामांकित व लगातार अनुपस्थित रहने वाले बच्चों को प्रतिदिन स्कूल आने के लिए प्रेरित करना, साफ-सफाई, एमडीएम खाने, वर्ग में अनुशासन बनाए रखने समेत बाल संसद के कई कार्य है।
विद्यालयों में गठित मीना मंच में लड़कियां प्रतिनिधि होती है। विपरीत परिस्थिति में भी मीना हिम्मत से काम लेती हैं। स्कूल की गतिविधि में लड़कियों की अधिकतम भागीदारी हो लड़कियां शिक्षा के प्रति स्वास्थ्य एवं स्वच्छता के प्रति जागरूक बने अनामांकित बच्चों को विद्यालय से जोड़ने का प्रयास करना। पढ़ाई में कमजोर बच्चों को स्कूल के बाद मदद करना मीना मंच की जवाबदेही है।
मामले में डीईओ राजकुमार शर्मा का कहना है की प्रधानाध्यापक व शिक्षकों की उदासीनता के कारण बाल संसद और मीना मंच की क्रियाशीलता नहीं दिखती है। विद्यालय निरीक्षण के दौरान बाल संसद और मीना मंच के कार्यों की समीक्षा की जा रही है। अनुश्रवण के दौरान इन दोनों मंचों की क्रियाशीलता की भी जांच की जाएगी। निषक्रिय मंच के विद्यालयों के विरूद्ध कार्रवाई की जाएगी।