गोपालगंज के बैकुंठपुर में आज भी बाढ़ पीड़ित तटबंधों पर रहने को मजबूर, सरकार पड़ी सुस्त
गोपालगंज में पिछले साल आई भीषण बाढ़ की वजह से सैकड़ो गाँव के हजारो लोग विस्थापित हो गए थे. बाढ़ की विभिषका के एक साल होने को है लेकिन जिला प्रशासन या सरकार के द्वारा अभी तक बाढ़ विस्थापितों को बसाने के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किये गए. जिसकी वजह से बैकुंठपुर प्रखंड के सैकड़ो बाढ़ विस्थापित आज भी तटबंधो पर रहने को विवश है. तटबंध के निर्माण और मजबूती को लेकर अब तटबंधो से भी बाढ़ और कटाव विस्थापितों को हटाया जा रहा है. बैकुंठपुर के साथ ही गोपालगंज के 6 प्रखंडो में पिछले साल भीषण बाढ़ आई थी. यहाँ सबसे ज्यादा तबाही बैकुंठपुर, सिधवलिया और बरौली प्रखंड में हुआ था. बाढ़ की विभिषका के बाद सीएम नीतीश कुमार सहित आपदा प्रबंधन विभाग के आला पदाधिकारियो ने गोपालगंज के बाढ़ प्रभावित इलाको का हवाई दौरा किया था और बाढ़ विस्थापितों को सुरक्षित जगह बसाने का आश्वासन दिया था.
बैकुंठपुर के पूर्व विधायक व जदयू प्रदेश महासचिव मंजीत सिंह का कहना है की बाढ़ की विभिषका को आये हुए 10 माह बीत गए है. यहाँ 15 अगस्त 2017 में जिले में सबसे ज्यादा तबाही बैकुंठपुर विधानसभा क्षेत्र में हुआ था. इस इलाके के हजारो लोग बाढ़ से विस्थापित हो गए थे.
पूर्व विधायक के मुताबिक बैकुंठपुर के फैजुल्लाहपुर गाँव में भी बाढ़ आई थी. इस गाँव के करीब एक सौ से ज्यादा महादलित परिवार बाढ़ से विस्थापित हो गए थे. वे खुले आसमान के नीचे तटबंधो पर शरण लेकर रह रहे थे. साथ ही यहाँ नए सिरे से बाँध का निर्माण हो रहा है. जिसमे यहाँ के स्थानीय महादलित परिवारों का जमीन भी बाँध निर्माण में जा रहा है. लेकिन तटबंधो के निर्माण और मरम्मती के दौरान इन महादलित बाढ़ विथापितो को यहाँ से भी हटाया जा रहा है. जबकि हटाने से पूर्व इनको जिला प्रशासन के द्वारा पुनर्स्थापित करना था. लेकिन प्रशासनिक लापरवाही की वजह से ऐसा नहीं किया गया. इस समस्या को लेकर जिला लोकशिकायत में भी शिकायत दर्ज करायी गयी. लेकिन अबतक इसपर कोई ठोस कारवाई नहीं हुई. यहाँ फैजुल्लाहपुर के सैकड़ो बाढ़ विस्थापितों में ख़ासा आक्रोश है.
फैजुल्लाहपुर गाँव के बाहर बने तटबंध पर शरण लेकर रहने वाली विजान्ति देवी का कहना है की कटाव के बाद वे बाँध पर अपने परिवार के साथ रहती है. लेकिन यहाँ से भी उन्हें हटाया जा रहा है. भीषण गर्मी में अब वे अपने परिवार को लेकर आखिर कहा जाए. इसी गाँव की सुगान्ति देवी कहती है की तटबंध निर्माण के लिए मजदुर आते है. उनके घरो में बने चुल्लाह को भी तोड़ दिया गया है. वहा से उन्हें हटाया जा रहा है. घर में खाने के लाले पड़े है. हटाने से पहले उन्हें विस्थापित नहीं किया गया. ऐसे में उनके सामने एक ही समस्या है की आखिर अब कहा जांए.
हलाकि जिला प्रशासन का कहना है की बाढ़ विस्थापितों को बसाने के लिए उनकी पहचान कर बाढ़ पुनर्वास योजना के तहत जमीन का पर्चा उपलब्ध कराया जा रहा है. फैजुल्लाहपुर में भी और 15 विस्थापित परिवार को जमीन का पर्चा दिया जा रहा है. यह प्रक्रिया जल्द से पूरी कर ली जाएगी. साथ ही तटबंधो से हटने का भी निर्देश दिया गया है. ताकि बाढ़ से पूर्व हर हाल में तटबंधो की मजबूती का कार्य पूरा किया जा सके.