गोपालगंज

गोपालगंज: राम भरोसे है मॉडल सदर अस्पताल, यहां ना समय पर डॉक्टर मिलते है और ना ही दवा

मॉडल सदर अस्पताल में सिर्फ दुआ ही मरीजों के काम आती है। यहां न समय पर डॉक्टर मिलते है न ही दवा। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मरीजों को मामूली दवा भी बाहर से खरीदकर लानी होती है। गरीब मरीज महंगी दवाएं प्राइवेट दुकानों से खरीदने के लिए मजबूर हैं।

सुबह से सुदूर इलाके से पहुंचे मरीजों को डॉक्टर से दिखाने के बाद दोपहर के एक बजे तक कतार में लगने के बाद दवा नहीं मिली। मरीजों का कहना है कि मलेरिया की एक भी दवा अस्पताल में मरीजों को नहीं मिल रही है। टाइफाइड बुखार का सीजन चल रहा है। लेकिन यहां बच्चों की बुखार की दवा भी अस्पताल में नहीं मिल रही है। किसी मरीज को डॉक्टर द्वारा लिखी गयी चार दवा में एक मिली तो किसी को पांच दवा में दो मिल रही है।

कांग्रेस सेवा दल के प्रदेश उपाधीक्षक प्रेमनाथ राय शर्मा ने बताया कि तालाबंद करने के दौरान अंगुली कट गयी। अस्पताल के इमरजेंसी में इलाज कराने गये तो टैडवैक की इंजेक्शन दिया गया। एंटीवाइटिक लिखा गया और कहा गया कि अस्पताल में नहीं है बाजार से खरीदे। अकेले मेरे साथ ही नहीं बल्कि आने वाले मरीजों को बाजार से दवाएं खरीद कर मांगाई जा रही है।

नियम के अनुसार सदर अस्पताल को ओपीडी के लिए अपने स्टॉक में कम से कम 71 तरह की दवा रखनी है। लेकिन अस्पताल में मात्र 30 से 35 तरह की ही दवा उपलब्ध है। यह हाल सिर्फ सदर अस्पताल का नहीं है बल्कि जिले के चौदह प्रखंडों के अस्पताल का यही हाल है। ऐसे में जरूरी दवाओं की खरीदारी लोगों को बाहर के दुकानों से करनी पड़ रही है। मरीजों ने बताया कि सदर अस्पताल में डॉक्टर द्वारा लिखी गयी दवा काउंटर पर नहीं मिलती है। अस्पताल के बाहर चिन्हित दुकानें हैं। जहां डॉक्टरों की लिखी दवाइयां मिलती है। दूसरे दुकान से दवा लेने पर डॉक्टर नाराज हो जाते है और इलाज में ठीक से ध्यान नहीं देते हैं। अल्ट्रासाउंड और पैथोलॉजी जांच के लिए भी दुकान निर्धारित है।

सिधवलिया प्रखंड के सदौवा गांव के रहनेवाले बालेश्वर सहनी अपने बेटे आदित्य कुमार का इलाज कराने पहुंचे थे। डॉक्टर ने चेकअप करने के बाद चार दवा लिखी, जिसमें सिर्फ एक दवा ही मरीज को मिली, बाकी के तीन दवा बाहर की दुकान से खरीदनी पड़ी।

वहीं सिविल सर्जन डॉ वीरेंद्र प्रसाद ने कहा कि अस्पतालों में जरूरत की सभी दवाएं उपलब्ध है। महत्वपूर्ण दवा अगर खत्म हो जाती है तो उसे लोकर स्तर पर खरीदा जा रहा है। दवा की कमी को लेकर मुख्यालय से डिमांड किया गया है।

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