गोपालगंज: शिक्षा की अलख जगाने में जुटा दिव्यांग, रोजाना बच्चों को फ्री ट्यूशन पढ़ा कर बना प्रेरणास्रोत
गोपालगंज के थावे प्रखण्ड के विदेशी टोला गांव निवासी दिव्यांग रमेश बच्चों के बीच शिक्षा की ज्योति जलाने के मुहिम में जुटा हुआ है। इसके द्वारा जारी मुहिम की आज चौतरफा सराहना हो रही है। 16 वर्ष के आयु में सड़क हादसे के शिकार रमेश आज शारीरिक रूप से अस्वस्थ्य होते हुए भी अपनी हिम्मत, लगन और मेहनत के दम पर शिक्षा की ज्योति जगाने में लगा हुआ है। शुरुआत में दो बच्चों से शुरु किया फ्री ट्यूशन में आज 80 छात्र छात्राए इनसे शिक्षा ग्रहण कर रहे है।
थावे प्रखण्ड के विदेशी टोला ग़ांव निवासी शिवनारायण यादव के बेटा रमेश कुमार यादव दो भाई और एक बहन में सबसे छोटा है। बचपन से काफी तेज तर्रार रमेश की इच्छा थी को वह बड़ा होकर सेना का जवान बन देश की सेवा करें। लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंजूर था। इंटर की पढ़ाई करने के बाद रमेश आगे के पढाई के लिए काफी उत्साहित था। ताकि सेना के जवान बन कर देश की सेवा कर सकू। इसी बीच वर्ष 2012 में वह बाइक से किसी शादी में शामिल होने गया था। लेकिन सुबह पढ़ाई ना छूट जाए इसको लेकर रात में ही बाइक से अपने घर के लिए निकल पड़ा। लेकिन रास्ते मे ही सड़क हादसे के शिकार हो गया और उसकी स्पाईनल टूट गई। काफी पैसे खर्च होने के बावजूद रमेश ठीक नही हो सके। 16 वर्ष की आयु में पूरी तरह से दिव्यांग हो गए। रमेश के दोनों पैर तभी से निष्क्रिय हैं। कमर के नीचे का हिस्सा काम करना बंद कर दिया। बावजूद उन्होंने अपनी अक्षमता को खुद पर हावी नहीं होने दिया। बड़ा होने के साथ ही उसके भीतर कुछ ऐसा करने का जज्बा अंगड़ाई लेता रहा जो समाज के लिए मिसाल बने। दिव्यांग, गरीब, बेसहारा, विधवा माताओं के बच्चों को शिक्षित कर मुख्यधारा में लाने का बीड़ा उठा उठाया। वर्ष 2017 में 2 बच्चो को फ्री में पढ़ाना शुरू किया और आज रमेश से 80 बच्चे फ्री में पढ़ते है। दिव्यांग रमेश की मेहनत रंग लाने लगी है। साथ ही जिनके लिए अपने बच्चों को अच्छी तालीम देना महज ख्वाब था, वह अब साकार होने लगा है। वहां पढ़ रहे बच्चे भी इंजीनियर, डाक्टर, शिक्षक बनने का सपना देखने लगे हैं।
रमेश कहते है कि मेरी सपना था कि मैं एक फौजी बनू लेकिन मेरा सपना पूरा नही हो सका और मैं नही चाहता हूँ कि कोई बच्चा का सपना टूटे। मुझे जितनी जानकारी है उस जानकारी को बच्चो के बीच बाटना चाहता हूं। ताकि गरीब के कारण किसी भी बच्चे का सपना टूटे।