गोपालगंज: आस्था और विश्वास का महा पर्व चैती छठ उगते सूरज को अर्घ्य देने के साथ ही हुआ सम्पन्न
गोपालगंज: चैती छठ पर्व पर गुरूवार की शाम अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया गया। इस अवसर पर छठ घाट पर पूजा अर्चना की गई और डूबते भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया गया। व्रती महिला जहां भगवान भास्कर की आराधना में डूबी हुई थी, वही अगल-बगल की पड़ोसी महिलाएं छठ पर्व के पावन पारंपरिक गीत गा रही थी। इससे पूरा वातावरण भक्तिमय में हो गया। शुक्रवार की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के साथ ही चार दिवसीय व्रत संपन्न हो गया।
इसके साथ ही नदी घाटों पर व्रतियों से ठेकुआ का प्रसाद ग्रहण करने के लिए श्रद्धालु व्रतियों से आग्रह करते देखे गए। छठ व्रतियों ने विभिन्न सरोवरों-तालाबों में अस्ताचलगामी सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित किया। पंचदेवरी प्रखंड क्षेत्र के जमुनहां, भाठवां, तेतरियां आदि गांवों में चैती छठ मनाया जाता है। चैती छठ कार्तिक मास की छठ से कठिन होता है। ग्रीष्म ऋतु की तपिश भरे वातावरण में व्रती निर्जला उपवास रखकर इस व्रत को करती हैं। परवइतीन पूरी नेम निष्ठा के साथ इस चार दिवसीय अनुष्ठान को करती हैं। पारिवारिक सुख समृद्धि और मनोवांछित फल प्राप्त होने के बाद इस पर्व को किया जाता है। शुक्रवार को पर्व संपन्न होने के बाद लोग प्रसाद ग्रहण किएं। इस संबंध में आचार्य पं विनोद मिश्र शास्त्री बताते हैं कि पौराणिक मान्यता है कि छठी मैया सूर्य देव की बहन हैं। यही वजह है कि छठ में सूर्य देव की भी पूजा-अर्चना की जाती है। उन्हें अर्घ्य दिया जाता है। इसके साथ ही छठ पर छठी मैया की पूजा का भी विधान है। पौराणिक मान्यता के अनुसार छठी मैया संतानों की रक्षा करती हैं और उन्हें दीर्घायु प्रदान करती हैं। शास्त्रों में षष्ठी देवी को ब्रह्मा जी की मानस पुत्री भी कहा गया है।