गोपालगंज: पंचदेवरी के भठवा गांव में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन सह मुशायरे का हुआ आयोजन
गोपालगंज के पंचदेवरी प्रखंड के भठवा गांव में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन सह मुशायरे का आयोजन किया गया। जिसमें देश व विदेश के शायर व कवियों ने अपनी रचना पढ़ी। यह आयोजन बिहार विकास सीबीएससी स्कूल मंझरिया ने आयोजित की थी। कार्यक्रम की शुरुआत कवियों व पत्रकारों के सम्मान के बाद हुई।
इस दौरान सिवान से आए हास्य व्यंग के कवि सुनील कुमार तंग इनायत पुरी ने अपनी रचना जो सौतन की तरह लड़ती थी घर में रोज बीवी से, मोहब्बत कर रहा हूं आजकल मैं उस गरीबी से। दूसरी चरना वर्षों से खूंटियों पर वादे लटक रहे हैं, सच बोलने में लेकिन हम तुम अटक रहे हैं, अरे जानेमन सियासत, महक रहा है इश्क अपना अंधा, तुम भी भटक रही हो, हम भी भटक रहे हैं। नाप रहे हैं मन ही मन एक दूजे में क्या दूरी है, हम लोगों को बांट के रखना तो उनकी मजबूरी है। पढ़कर देश की स्थिति का अंदाज ए बयां किया, तो तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा माहौल गूंज उठा।
गोपालगंज के कवि संजय मिश्र संजय ने अपनी रचना एक सैयाद ने चिड़ियों की रिहाई की है, हां मगर उसने ही उड़ने की मनाही की है। पढ़कर लोगों को स्तब्ध कर दिया। गोरखपुर से आयी कवियत्री डॉ निशा राय ने अपनी रचना यह धागा इश्क का है या फिर मकड़ी का जाला है, फसाया भी इसी ने है इसी ने फिर संभाला है। पढ़कर लोगों के दिलों को झकझोर दिया। बेतिया से आए कवि डॉ गोरख मस्ताना ने अपनी रचना हो गुलाब तो कांटो वाली गजलें लगे सुनाने क्यों, बादल बन कर आए हो तो आग लगे बरसाने क्यों। पढ़कर लोगों की खूब वाहवाही बटोरी।
कटेया के के हिंदी व भोजपुरी के प्रख्यात कवि सोमनाथ ओझा सोमेश ने अपनी रचना अंग अंग में उमंग, गंग में तरंग रे, खंग नयन, भंग भौं, रंग कई संग रे। पढ़कर खूब वाहवाही बटोरी। वही देवरिया से आए हास्य व्यंग के कवि योगेंद्र तिवारी योगी ने अपनी रचना सरकार मोटर कार, जनता पेट्रोल विकास धुआं है, सारा लोकतंत्र एक सूखा कुआं है। पढ़कर सरकार पर तंज कसा। कुवैत से आए मशहूर शायर डॉ अफरोज आलम ने अपनी गजल साहिल की फिजाओं का मजा और ही कुछ है, जंगल के दरख्तों के हैं गम ,और तरह के। पढ़कर लोगों में अपनी जगह बना ली।
इस मौके पर पूर्व मुखिया उपेन्द्र मिश्र, चमचम श्रीवास्तव, सरपंच दिनेश पाण्डेय, मनोरंजन लाल सहित हजारों की संख्या में लोग मौजूद थे।