गोपालगंज: चमकी बुखार से बचाव के लिए जागरूकता जरूरी, सभी पीएचसी में दो बेड का बनाया गया वार्ड
गोपालगंज: चमकी बुखार और कालाजार के प्रति समुदाय को जागरूक करने में मीडिया की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है। किसी भी कार्यक्रम को सफल बनाने में मीडिया का सहयोग जरूरी है। उक्त बातें सदर अस्पताल में आयोजित एक दिवसीय मीडिया कार्यशाला में डीएमओ डॉ. सुषमा शरण ने कही। उन्होंने कहा कि चमकी बुखार को लेकर स्वास्थ्य विभाग अलर्ट है। इससे निपटने को लेकर तैयारी पूरी कर ली गयी है। सदर अस्पताल में पीकू वार्ड बनाया गया है। इसके साथ हीं जिले के सभी पीएचसी में दो-दो बेड का वार्ड बनाया गया है। चमकी बुखार से बचाव के लिए सामुदायिक स्तर पर जन जागरूकता भी बेहद आवश्यक और जरूरी है।बच्चों को एईएस से बचाने के लिए माता-पिता को शिशु के स्वास्थ्य के प्रति अलर्ट रहना चाहिए। समय-समय पर देखभाल करते रहना चाहिए। स्वस्थ्य बच्चों को मौसमी फलों, सूखे मेवों का सेवन करवाना चाहिए। साफ सफाई पर विशेष ध्यान रखना चाहिए। छोटे बच्चों को माँ का दूध पिलाना बेहद आवश्यक है। अप्रैल से जुलाई तक बच्चों में मस्तिष्क ज्वर की संभावना बनी रहती है। बच्चे के माता-पिता चमकी (मस्तिष्क) बुखार के लक्षण दिखते ही तुरंत जाँच और जाँच के बाद आवश्यक इलाज कराना चाहिए। इसके पहले डीएमओ डॉ. सुषमा शरण, डीपीसी जयंत कुमार, भीडीसी अमित कुमार, भीडीसीओ बिपिन कुमार, प्रशांत कुमार, केयर इंडिया के डीपीओ आनंद कश्यप, पीसीआई आरएमसी बच्चु आलम, सीफार के प्रमंडलीय कार्यक्रम समन्वयक गनपत आर्यन के द्वारा संयुक्त रूप से कार्यशाला का शुभारंभ किया गया। सेंटर फॉर एडवोकेसी एन्ड रिसर्च के सहयोग से जिला स्वास्थ्य समिति के द्वारा कार्यशाला का आयोजन किया गया। डीएमओ ने कहा कि चमकी बुखार और जेई के प्रबंधन के लिए चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया है। ताकि किसी भी आपात स्थिति से निपटा जा सके।
इस दौरान डीएमओ डॉ. सुषमा शरण ने कहा कि गोपालगंज जिला कालाजार उन्मूलन का लक्ष्य हासिल कर चुका है। वर्ष 2022 में मात्र 9 कालाजार के मरीज पाये गये है। अब जिले का एक भी प्रखंड कालाजार से प्रभावित नहीं है। कालाजार से बचाव के लिए भी जन-जागरूकता जरूरी है। इसको लेकर विभिन्न विभागों से समन्वय स्थापित कर जागरूकता फैलाने का प्रयास किया जा रहा है। इसमें केयर इंडिया और पीसीआई संस्था के द्वारा सहयोग किया जा रहा है। इस दौरान केयर इंडिया के डीपीओ आनंद कश्यप और पीसीआई के आरएमसी बच्चु आलम के द्वारा पीपीटी के माध्यम से कालाजार की उपब्लधि को बताया गया। कालाजार छिड़काव जैसे गुहाल, पूजा घर ,शौचालय, सोने वाला कमरा इत्यादि में संपूर्ण छिड़काव कराने से बचाव किया जा सकता है । चमड़ी वाला कालाजार वैसे व्यक्ति को हो सकता है जिनको पहले कभी कालाजार और बुखार हुआ होगा। उस व्यक्ति के शरीर पर दाग-धब्बा आना चमड़े वाला कालाजार का लक्षण है। इसका इलाज सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर मुफ्त में किया जाता एवं इस इलाज को संपूर्ण करने में 84 दिन का समय लगता है । पीकेडीएल मरीजों को भारत सरकार की ओर से ₹4000 श्रम क्षतिपूर्ति राशि के तौर पर दी जाती है। भीएल कालाजार मरीजों को बिहार सरकार के द्वारा 6600 रुपये और भारत सरकार के द्वारा 500 रुपये दिया जाता है। कालाजार संभावित मरीजों को रेफर करने पर पॉजिटिव आने के उपरांत कालाजार रेफर करने वाले व्यक्ति को ₹500 प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान है जो स्वास्थ्य विभाग की ओर से दिया जाता । उन्होंने बताया कि सदर अस्पताल गोपालगंज, हथुआ पी.एच.सी.एवं बैकुंठपुर पी.एच.सी. में कालाजार जांच मुफ्त में की जाती है। इस मौके पर डीएमओ डॉ. सुषमा शरण, डीपीसी जयंत कुमार, भीडीसी अमित कुमार, भीडीसीओ बिपिन कुमार, प्रशांत कुमार, केयर इंडिया के डीपीओ आनंद कश्यप, डॉ छाया, डॉ दिनेश मौर्य, पीसीआई आरएमसी बच्चु आलम, सीफार के प्रमंडलीय कार्यक्रम समन्वयक गनपत आर्यन, नौशेर आलम, रितेश कुमार समेत अन्य मौजूद थे।
ये है चमकी बुखार के प्रारंभिक लक्षण :
- लगातार तेज बुखार रहना
- बदन में लगातार ऐंठन होना
- दांत पर दांत दबाए रहना
- सुस्ती चढ़ना
- कमजोरी की वजह से बेहोशी आना
- चिउटी काटने पर भी शरीर में कोई गतिविधि या हरकत न होना आदि
चमकी बुखार से बचाव के लिए ये सावधानियाँ हैं जरूरी :
- बच्चे को बेवजह धूप में घर से न निकलने दें
- गन्दगी से बचें , कच्चे आम, लीची व कीटनाशकों से युक्त फलों का सेवन न करें
- ओआरएस का घोल, नीम्बू पानी, चीनी लगातार पिलायें
- रात में भरपेट खाना जरूर खिलाएं
- बुखार होने पर शरीर को पानी से पोछें
- पारासिटामोल की गोली या सिरप दें