गोपालगंज: आधी रात में भी नहीं रूकती है आशा शीला की कदम, प्रसूति महिलाओं को पहुंचाती है अस्पताल
गोपालगंज में मातृ शिशु स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग के द्वार कई महत्वपूर्ण कार्यक्रम चलाये जा रहें है। इसके लिए स्वास्थ्य सेवाओं की आसान पहुँच एवं इसकी उपलब्धता पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. इन्हीं सेवाओं को समुदाय स्तर तक पहुंचाने में सबसे मजबूत कड़ी आशा कार्यकर्ता को माना जाता है। स्वास्थ्य कार्यक्रमों के प्रति समुदाय को जागरूक करना आशा की जिम्मेदारी है। लेकिन कुछ आशा कार्यकर्ता ऐसी भी है जो अपने कर्तव्यों से भी हटकर बेहतर कार्य कर रही है। हम बात कर रहें गोपालगंज जिले के सिधवलिया प्रखंड के जलालपुर पंचायत के तहसील कचहरी गांव की आशा कार्यकर्ता शीला देवी की। जो पिछले कई वर्षो से अपने क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं को समुदाय तक पहुंचाने में अपनी एक अलग पहचान स्थापित की है। वह संस्थागत प्रसव के राह को असान कर रही है। क्षेत्र की सभी महिलाओं के लिए दीदी के नाम से मशहूर आशा शीला देवी घर-घर जाकर संस्थागत प्रसव के प्रति जागरूकता फैला रही है।
गुणवत्तापूर्ण सेवा के लिए विभाग भी तत्पर: संस्थागत प्रसव को बढावा देने में क्षेत्रीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता तो अपनी जिम्मेदारी निभा ही रहें है। वहीं स्वास्थ्य विभाग क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं का क्षमतावर्धन कर सामुदायिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने में जुटा है। अस्पतालों में दवा की उपलब्धता, हर समय चिकित्सकों की मौजूदगी, एंबुलेंस सेवा जैसी आवश्यक सुविधाओं को मजबूत किया गया है। प्रसव के पूर्व और प्रसव के बाद महिलाओं को दी जाने वाली सभी सुविधाएं मुहैया करायी जा रही है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के द्वारा प्रसव पीड़िता को घर से अस्पताल तथा अस्पताल घर पहुंचाने के लिए एंबुलेंस की सेवा उपलब्ध करायी जा रही है। आशा कार्यकर्ता को भी प्रोत्साहन राशि दी जा रही है।
आधी रात में भी नहीं रूकती है कदम: आशा शीला देवी कहती है कि क्षेत्र के गर्भवती महिलाओं के लिए उनका पूरा जीवन समर्पित है। वह कहती हैं- अब क्या दिन और क्या रात। उन्हें हर समय महिलाओं के स्वास्थ्य का चिंता रहती है। आधी रात को भी क्षेत्र के किसी महिला को प्रसव कराना होता है तो उनके कदम रुकते नहीं है. फोन घंटी बजते हीं वह निकल पड़ती है और उस प्रसव पीड़ित महिल को तुरंत अस्पताल लेकर जाती है। उसके लिए सबसे पहले एंबुलेंस की सुविधा सुनिश्चित करती है। अगर किसी कारण से एंबुलेंस नहीं मिलती है तो सबसे पहले किसी भी निजी वाहन से वह अस्पताल पहुंचाती है। जहां पर महिला का सुरक्षित प्रसव कराया जाता है। आशा की जिम्मेदारी यहीं खत्म नहीं हो जाती है। उसके बाद नवजात शिशु की देखभाल की जिम्मेदारी भी आशा के कंधे पर होती है। 42 दिनों तक घर-घर जाकर शिशुओ की देखभाल करती है तथा कंगारू मदर केयर और स्तनपान, साफ-सफाई के बारे में काउंसलिंग भी करती है। शिशु की टीकाकरण की जिम्मेदारी भी वह बखूभी निभाती है.
प्रसव पूर्व तैयारी मातृ शिशु मृत्यु दर में कमी लाने में सार्थक: आशा शीला देवी कहती हैं कि गर्भावस्था से लेकर प्रसव तक का समय काफ़ी महतवपूर्ण होता है. इसको लेकर वह काफ़ी सजग रहती है. उन्हें जब इस बात की जानकारी हो जाती है कि उनकी क्षेत्र की महिला गर्भवती हो चुकी है। तब से लेकर प्रसव होने तक उनकी निगरानी करती है। प्रसव पूर्व जांच के साथ प्रसव पूर्व तैयारी भी सुनिश्चित कराती है। गर्भवती महिलाओं को यह जानकारी देती है कि प्रसव के लिए आर्थिक रूप से मजबूत होना जरूरी है। इसके लिए बचत करना चाहिए। ताकि प्रसव के समय अगर कोई समस्या होती है तो आर्थिक स्थिति का सामना नहीं करना पड़े। इसके साथ हर गभर्वती महिलाओ के पास नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी, आशा का मोबाइल नंबर और एंबुलेंस का नंबर देती है। ताकि किसी भी परिस्थिति में संपर्क किया जा सके और प्रसव पीड़ित महिला समय से अस्पताल पहुंच सके। इसलिए प्रसव पूर्व तैयारी काफी जरूरी है। इससे मातृ शिशु मृत्यु दर में काफी आयेगी।