गोपालगंज: आयोडीन के महत्व और उपयोगिता पर गर्भवती महिलाओं को किया जायेगा जागरूक
गोपालगंज: खाने में आयोडीन के महत्व और उपयोगिता को बताने के लिए जिले में 21 से 28 अक्टूबर तक ग्लोबल आयोडीन अल्पता बचाव सप्ताह मनाया जाएगा। 21 अक्टूबर को पूरे विश्व में आयोडीन अल्पता बचाव दिवस मनाया जाता है। इस संदर्भ में राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक संजय कुमार ने सभी जिलों के सिविल सर्जन को निदेशित किया है कि 21 से 28 अक्टूबर को विश्व आयोडीन अल्पता बचाव सप्ताह मनाया जाय। जनमानस को आयोडीन के बारे में जागरूक करने के लिए होर्डिंग और बैनर का सहारा लिया जा रहा है। शहर और सरकारी कार्यालयों के बाहर आयोडीन की अल्पता से होने वाली बीमारियों की जानकारी होर्डिंग के माध्यम से दी जा रही है। वहीं कोविड मानकों का ध्यान रखते हुए छोटी -छोटी रैली भी निकाल लोगों को आयोडीन की उपयोगिता बतायी जाय। इसके अलावा ओपीडी में आने वाले सभी मरीजों खास कर गर्भवती महिलाओं को आयोडीन के बारे में निश्चित जानकारी दी जाय। स्वास्थ्य केंद्रों पर भी कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे।
सिविल सर्जन डॉ. योगेंद्र महतो ने बताया कि आयोडीन मानव शरीर के लिए बहुत ही जरूरी है। इसकी कमी से हार्मोन का उत्पादन भी बंद हो सकता है जिससे शरीर के सभी अंग अव्यवस्थित हो सकते हैं। इसकी कमी से होने वाले रोगों में प्रमुख रूप से गलगंड होता है। इसमें गले के नीचे अवटु ग्रंथी में सूजन हो जाती है। वहीं गर्भवती महिलाओं में इसकी कमी से गर्भपात भी हो सकता है। इसके अलावा बहरापन , बौनाकद, अविकसित मस्तिष्क और सीखने और समझने की क्षमता में कमी की समस्या भी होती है। अधिक मात्रा में आयोडीन वाले आहार हैं मूली, शतावर, गाजर, टमाटर, पालक, आलू, केला , दूध और समुद्र से पाए जाने वाले आहार।
सिविल सर्जन ने बताया कि आयोडीन शिशु के दिमाग के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मां में आयोडीन की कमी से पैदा होने वाले बच्चे का शारीरिक विकास भी पूरा नहीं हो पाता। भ्रूण के समुचित विकास के लिए आयोडीन एक जरूरी पोषक तत्व है। यह शिशु के दिमाग के विकास में अहम भूमिका अदा करता है। शरीर के तापमान को नियंत्रित करने का काम भी आयोडीन करता है। कोविड काल के चलते हमें यह जानना बड़ा जरूरी है कि अन्य विकारों के अलावा शरीर में आयोडीन की कमी हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी प्रभावित करती है।