गोपालगंज

गोपालगंज के बेटा ने भारत से चार हजार किलोमीटर दूर रच दिया इतिहास, बना सेशेल्स का राष्ट्रपति

गोपालगंज: भारत से चार हजार किलोमीटर दूर सेशेल्‍स देश में बिहार के एक शख्स ने इतिहास रच दिया। भारतीय मूल के वैवेल रामकलावन को हिंद महासागर के द्वीपीय देश सेशेल्स का राष्ट्रपति चुना गया है। सेशेल्स में हुए राष्ट्रपति चुनाव में वैवेल रामकलावन को 54 फीसदी मत मिले हैं। उन्होंने डैनी फॉरे को भारी मतों के अंतर से मात दी है। वैवेल रामकलावन के पैतृक गांव बरौली प्रखंड के परसौनी गांव में खुशी की लहर है।

वैवेल रामकलावन के पूर्वज गोपालगंज के बरौली प्रखंड के परसौनी गांव के नोनिया टोली के रहने वाले हैं। आज भी उनके कुछ रिश्तेदार इस गांव में हैं। वैवेल के राष्ट्रपति चुने जाने की खबर मिलते ही परसौनी गांव में दशहरा और दिवाली की खुशियां छा गयी। सेशेल्स के राष्ट्रपति के रिश्तेदारों ने एक-दूसरे को बधाई देते हुए पटाखे फोड़े और मिठाइयां बांटी।

वैवेल रामकलावन के करीबी बताते हैं कि वैवेल रामकलावन के पूर्वज करीब 135 साल पहले परसौनी गांव से कोलकाता होते हुए मारीशस पहुंचे थे। जहां वह गन्ने के खेत में काम करने लगे। कुछ समय बाद सेशेल्स चले गए थे। उस समय देश अंग्रेजों का गुलाम था। अंग्रेज यहां के लोगों को मजदूरी कराने के लिए ले जाते थे। उन्‍हें गिरमिटिया मजदूर कहा जाता था। इनमें बिहार के लोग भी थे। उन लोगों ने अपनी मेहनत से वहां अपना साम्राज्‍य भी स्‍थापित किया। रामकलावन के परदादा भी उन्‍हीं में थे, जो अपने वतन को छोड़कर वहां गए। फिर उनके वंशज वहां से सेशेल्‍स चले गए, लेकिन वह भारत और अपनी जन्‍मभूमि को नहीं भूले। 1961 में वैवेल रामकलावन का जन्म सेशेल्स में ही हुआ था।

वैवेल रामकलावन 10 जनवरी 2018 को अपने पूर्वजों के गांव को ढूंढते हुए परसौनी आए थे। यहां आते ही गांव की माटी को नमन कर माथे पर तिलक लगाया था। वे तब सेशेल्स की नेशनल असेंबली में नेता प्रतिपक्ष थे। अपने पुरखों के गांव परसौनी में कदम रखते ही उनकी आंखें छलक आई थीं। अब रामकलावन सेशेल्‍स के राष्‍ट्रपति निर्वाचित हो गए हैं।

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