गोपालगंज: विनाशकारी बाढ़ में 55 सौ 98 हैक्टेयर में लगी फसल हुई नष्ट, हजारो किसान है परेशान
गोपालगंज के मांझागढ़ प्रखण्ड अंतर्गत हजारो किसानों के द्वारा आय दोगुनी करने के उद्देश्य से कर्ज लेकर खून पसीना एक करके धान, माक्का, सब्जी के खेती किये हुए थे। परन्तु आयी विनाशकारी बाढ़ ने 55 सौ 98 हेक्टेयर में लगी फसल नष्ट हो जाने के कारण किसानों के आय दोगुनी करने के सपना पर पानी फिर गया। एक तरफ कोरोना की मार झेल रहे है तो दूसरी तरफ प्राकृतिक की कहर के सामना कर रहे है। किसानों की जिंदगी यही है कभी प्राकृतिक आपदा के मार झेल रहे है तो कभी सुखाड़ की मार झेल रहे है। जिसके चलते आर्थिक स्थिति दिनोदिन खराब होती जा रही है।
सरकार तो किसानों को अनुदानित बीज और खाद तो दे रही है। फिर भी किसान कोरोना काल की सामना कर कर्ज लेकर खेती किये हुए थे। जो बर्बाद हो गया नष्ट हुए फसल की सर्वे तो कृषि विभाग के द्वारा करा लिया गया। मांझा प्रखण्ड अंतर्गत प्रखण्ड कृषि पदाधिकारी रविन्द्र बैठा के अनुसार कराए गए सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक 5598 हेक्टेयर में लगी फसल बाढ़ में नष्ट हो गया है। परन्तु सरकार के द्वारा फसल क्षतिपूर्ति हेतु किसानों द्वारा आवेदन लेने की प्रक्रिया शुरू नही होने से किसान व्यकुल है। किसानों का कहना है कि करीब 5 माह से कोरोना माहामारी से बचाव हेतु सरकार के द्वारा लगाए गए लक डाउन के चलते बेरोजगार बन गए कही रोजगार नही मिल रहा है। इस परिस्थिति में कर्ज लेकर खेती की गई थी जो बर्बाद हो गया सरकार के द्वारा फसल क्षतिपूर्ति का भुगतान नही किया गया तो किसान कैसे कर्ज चुकाएंगे ऐसे ही कोरोना और बाढ़ भुखमरी के स्थिति पर ला खड़ा कर दिया है।