गोपालगंज

गोपालगंज: वाल्मिकीनगर बराज से लगातार पानी छोड़े जाने से कई गांव का जिला मुख्यालय से टूटा संपर्क

गोपालगंज: वाल्मिकीनगर बराज से लगातार पानी छोड़े जाने के बाद लगातार बढ़ते गंडक नदी के जलस्तर के बीच दियारा के निचले इलाके में रहने वाले दो दर्जन गांवों के लोगों का सड़क संपर्क जिला मुख्यालय से टूट गया है। इन गांवों के लोगों के लिए अब नाव ही घर से बाहर निकलने के लिए सहारा है। जलस्तर में बढ़ोत्तरी के बाद कई स्थानों पर तटबंध पर नदी के पानी का दबाव बना हुआ है।

बता दे की गंडक नदी के जलस्तर में लगातार हो रही वृद्धि के कारण दियारा इलाके के लोग पिछले कई दिनों से मुश्किल में फंसे हुए हैं। पानी बढ़ने के बाद कुचायकोट के काला मटिहनिया पंचायत के चार गांवों के अलावा सदर प्रखंड के खाप मकसुदपुर, जगीरी टोला, कटघरवा, मेहंदिया, मंझरिया, डोमाहाता, गईता टोला, मांझा प्रखंड के निमुईयां व गौसिया, सिधवलिया प्रखंड के अमरपुरा व सलेमपुर, बरौली प्रखंड के महोदपुर पकडिया तथा बैकुंठपुर प्रखंड के गम्हारी, फैजुल्लाहपुर, प्यारेपुर, मूंजा सहित 22 पंचायतों के कुल 52 गांव के लोगों पानी से पूरी तरह से घिर गए हैं। सदर प्रखंड 14 गांवों के अलावा मांझा प्रखंड के निमुईयां व गौसियां पंचायतों के आठ गांव व सिधवलिया प्रखंड के दो गांवों का सड़क संपर्क मंगलवार की शाम जिला मुख्यालय से पूरी तरह से टूट गया। इन गांवों के लोगों के लिए गांव से बाहर निकलने के लिए नाव ही एकमात्र सहारा है। गंडक नदी के खतरे के निशान के ऊपर बहने को देखते हुए अभियंता से लेकर प्रखंड व अंचल के तमाम पदाधिकारी लगातार तटबंध पर कैंप कर रहे हैं।

गंडक के जलस्तर पर लगातार बढ़ोत्तरी के बाद बाढ़ नियंत्रण विभाग ने तटबंध की निगरानी को और बढ़ा दिया है। प्रशासनिक स्तर पर इसकी निगरानी के लिए अभियंताओं की कुल 15 टीमों को तैनात किया है। यह टीम 24 घंटे तटबंध की स्थिति पर कड़ी निगरानी रख रही है। अलावा इसके होमगार्ड के जवान भी पल-पल की स्थिति की जानकारी संबंधित अंचल के सीओ को दे रहें हैं।

बाढ़ग्रस्त निचले इलाके में फंसे लोगों को भोजन उपलब्ध कराने के लिए सदर प्रखंड में पांच तथा मांझा प्रखंड में दो स्थानों पर कम्यूनिटी किचन प्रारंभ किया गया है। सदर प्रखंड के रामनगर, रजोखर, मुंगराहां, हीरापाकड़ व रजवाहीं तथा मांझा प्रखंड के गौसियां व निमुईयां में कम्यूनिटी किचन खोला गया है। कम्यूनिटी किचन के साथ ही बनाए गए आश्रय स्थलों पर भी लोगों को रखा गया है। ताकि उन्हें किसी भी तरह की परेशानी नहीं हो सके।

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