गोपालगंज

गोपालगंज के वीर सपूतों ने अंग्रेजो का छुड़ाया था छक्का, भारत छोड़ो आंदोलन में अनेकों बार गए थे जेल

गोपालगंज: सन 1927 में अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान क्रांति की आग में कूदते हुए फुलवरिया के चार वीर सपूतों ने अंग्रेजों का छक्का छुड़ा दिया था । इस दौरान वें अनेकों बार अंग्रेज सिपाहियों के हाथों गिरफ्तार होकर जेल भी जा चुके थे।

फुलवरिया प्रखंड क्षेत्र के संग्रामपुर रायमल गांव के निवासी व स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन के सिपाही स्वर्गीय राम देनी शाह ने अहम भूमिका निभाते हुए अंग्रेज सिपाही घुड़सवार को सन 1927 में सवनहीं पति स्थित गांव में पत्थर मारा था। इसके बाद भागने के क्रम में अंग्रेजी सिपाही उन्हें गिरफ्तार कर लिया साथ ही जेल की सलाखों में डाल दिया। उधर इमिलिया माझा गांव के निवासी स्वतंत्रता संग्राम के पुरोधा स्वर्गीय राम नगीना राय के नेतृत्व में बथुआ बाजार स्थित मंदिर परिसर में आंदोलनकारी नेताओं की बैठक चल रही था। ऐन मौके पर पहुंचा अंग्रेज सिपाही लॉर्ड मार्शल को बंधक बनाते हुए काफी पिटाई भी कर दियें। इसके बाद सभी क्रांतिकारी नेता वहां से भाग निकले। जिनकी गिरफ्तारी के लिए अंग्रेज सिपाही छापेमारी करते रहे। माड़ीपुर गांव के स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय मंगल चौधुर इस दौरान अहम भूमिका निभाते हुए अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन के सिपाहियों को खानपान की व्यवस्था में लगे रहे। जो अंग्रेजों के आंखों की किरकिरी बन गए। जहां अंग्रेजी फौज उनकी गिरफ्तारी के लिए गांव में हुक्का पानी भी बंद कर दिया था। उसी गांव के स्वर्गीय हीरा तिवारी भी क्रांतिकारी आंदोलन में कूद पड़े। महज 25 वर्ष की उम्र में उन्होंने मीरगंज स्थित एक अंग्रेजी सिपाही पर धावा बोल दिया साथ ही उसे मीरगंज से भागने को मजबूर कर दिया। इन चारों पुरधाओं के अलावे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय राम देनी शाह की धर्म पत्नी प्रभा देवी ने भी महिलाओं को अंग्रेजों के विरुद्ध गोल बंद करते हुए उनके नेतृत्व में विभिन्न गांव में घर घर जाकर अंग्रेजों के विरुद्ध अभियान छेड़ दिया था। जिससे प्रेरित होकर अनेकों महिला उनके टीम में लाठी-डंडों से लैस होकर बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। इन पांचों सपूतों को श्रद्धा पूर्वक अब तक नमन किया जाता है ।

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय राम देनी शाह के पोता मीरगंज केनम अस्पताल के इंचार्ज डॉक्टर सुभाष चंद्र गुप्ता तथा उनके अनुज संग्रामपुर अस्पताल के इंचार्ज डॉ संजय कुमार अपने दादा की जुबानी कहे गए अंग्रेजों के दस्तान के बारे में बताते हैं कि एक माह तक दर्जनभर अपने क्रांतिकारी नेताओं को मेरे दादाजी अपने घर पर गुप्त रूप से छिपा कर रखे थे। जो बेतिया मोतिहारी छपरा तथा मुजफ्फरपुर से आए हुए थे। उसी सिलसिले में स्वतंत्रता संग्राम के पुरोधा वीर कुंवर सिंह भी घोड़े पर सवार होकर अपने फौज के साथ मेरे पैतृक गांव संग्रामपुर रायमल पहुंचे थे। जिन्होंने रात में क्रांतिकारी नेताओं की बैठक बुलाकर अंग्रेजों के विरुद्ध दिशा निर्देश दिया था। आज भी इन तमाम विधाओं को श्रद्धा पूर्वक क्षेत्र के विभिन्न गांव में नमन किया जाता है।

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