गोपालगंज में बाबू बृजकिशोर नारायण सिंह की जयंती समारोह में उपसभापति हुए शामिल
गोपालगंज: बड़े विलक्षण और बेहतर मंत्री के रूप में जाने जाते थे दिवंगत बाबु बृजकिशोर नारायण सिंह। आज लोग उन्हें सिर्फ एक नेता के रूप में न देखे, एक पूर्व मंत्री के रूप में न देखे, बल्कि उन्हें दूरदर्शी और प्रतिभा के धनी व्यक्ति के रूप में लोग उन्हें जाने, ऐसे थे गोपालगंज के बाबू बृजकिशोर नारायण सिंह। ये बाते राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने गोपालगंज में कही। वे आज गुरुवार को बैकुंठपुर के दिघवा दुबौली में बाबू बृजकिशोर नारायण सिंह की 85 वी जयंती समारोह में भाग लेने आये हुए थे।
यहाँ उपसभापति ने बाबू साहब की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और एक जनसभा को संबोधित किया। हरिवंश नारायण सिंह ने कहा कि 1977 का आन्दोलन था। जिसमे उन्होंने जेपी के आन्दोलन में देश और बिहार के पहले ऐसे विधायक थे जिन्होंने अपनी विधायकी छोड़कर इस आन्दोलन की एक नयी रुपरेखा रखी। उस वक्त किसी को नहीं पता था की जेपी का आन्दोलन किस मुकाम पर पहुचेगा। उस वक़्त घनघोर अँधेरा था। लेकिन उन्होंने जयप्रकाश नारायण के सम्पूर्ण बदलाव को चुना। उन्होंने तब बड़ा सहस का काम किया।
फिर बाबू साहब ने कांग्रेस को छोड़कर नीतीश कुमार के साथ आये। यह वो दौर था जब बिहार कहा खड़ा था। लेकिन बिहार के बदलाव की बुनियाद बाबु साहब ने रखी थी। आज उनकी स्मृति में शरीक होने के लिए वे यहाँ ए हुए है।
बाबु साहब के बेटे और जदयू प्रदेश महासचिव मंजीत सिंह ने कहा की जब उनके पिता बाबु बृजकिशोर नरायण सिंह कैंसर से पीड़ित थे। तब वे बीमारी के दौरान कहा करते थे की उनकी अंतिम संस्कार बैकुंठपुर के धरती पर किया जाए। इसलिए उनका अंतिम संस्कार डुमरिया घाट पर किया गया है। पूर्व विधायक ने कहा कि वे अपने पिता को सपने को पूरा करना चाहते है। वे बैकुंठपुर के विधायक रहे न रहे लेकिन यहाँ की जनता की सेवा वे करते रहेंगे।
इस जयंती समरोह में लोजपा के राष्ट्रिय महासचिव व पूर्व सांसद काली प्रसाद पाण्डेय, जिला सहकारिता के अध्यक्ष महेश राय, जदयू नेता शैलेन्द्र सिंह सहित भारी संख्या में लोग मौजूद थे।