गोपालगंज में पुल की जर्जर स्थिति से नाराज़ ग्रामीणों ने चुनाव में नोटा बटन दबाने का लिया निर्णय
देश में चुनावी बिगुल बज चुका है। हर तरफ नेताओ के द्वारा लुभावने वादे किये जा रही है। यहाँ गोपालगंज में भी नेताओ के वादे खिलाफी और नजरअंदाज की वजह से झरही नदी पर बना पुल इस कदर जर्जर हो चुका है कि कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। पुल की मरम्मती और निर्माण को लेकर ग्रामीणों ने नेताओ से लेकर अधिकारिओ तक गुहार लगायी। लेकिन किसी के द्वारा इस पुल का मरम्मती नहीं कराया गया। लिहाजा इस बार चुनाव में ग्रामीणों ने अपने गाँव में किसी भी दल के प्रत्याशी के प्रवेश करने पर रोक लगा दिया है और चुनाव में नोटा बटन दबाने का निर्णय लिया है।
गोपालगंज के झरही नदी पर बना करीब 200 मीटर लम्बा यह पुल भोरे प्रखंड के कल्याणपुर बाजार के समीप बना हुआ है। यह पुल भोरे और पंचदेवरी प्रखंड को फुलवरिया प्रखंड मुख्यालय से जोड़ता है। लेकिन अंग्रेजो के ज़माने में बना यह पुल अब पूरी तरह जर्जर हो चूका है। इस पुल में जगह जगह दरारे आ गयी है। जिसपर कोई भी बड़ा वाहन चलने से यह पुल डगमगाने लगता है। जिसकी वजह से कभी भी यह पुल ध्वस्त हो सकता है। यह पुल इलाके का यह इकलौता पुल है। जो लोगो की लाइफ लाइन है। इस पुल के ध्वस्त होने से तीन दर्ज से ज्यादा गांवो का संपर्क प्रखंड मुख्यालय से टूट जायेगा।
ग्रामीण आमोद कुमार बताते है कि कटेया रोड का यह झरही नदी का पुल है। इस पुल के टूट जाने से तीन दर्जन गांवो का समर्पक प्रखंड मुख्यालय से टूट जायेगा। इस पुल के निर्माण और मरम्मती को लेकर जब नेता और प्रत्याशी यहाँ आते है वे पुल के निर्माण का आश्वासन देते है। लेकिन चुनाव बीत जाने के बाद वे यहाँ कभी नहीं आये।
स्थानीय ग्रामीण फैजुल्लाह मिया के मुताबिक यह पुल जगज जगह टूट गया है। जिसकी वजह से इसमें कई जगह दरारे आ गयी है। यह कभी ध्वस्त हो सकता है। इस पुल पर से लोग जान हथेली पर रख कर गुजरते है। नेताओ ने वादा किया था। लेकिन जीत दर्ज करने के बाद वे दोबारा नहीं आये। इसलिए इस बार कल्याणपुर, मगहिया, नारायणपुर, विशुनपुर सहित तीन दर्जन गांवो के लोग वोट का बहिष्कार करेंगे और नोटा का प्रयोग कर अपना विरोध दर्ज करायेंगे।
बहरहाल इस पुल के निर्माण को लेकर जो भी अडचने है उसे दूर कर लोगो को मतदान के प्रति प्रेरित करने की जरुरत है।
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