गोपालगंज: वर्ल्ड फिजियोथेरेपी व ऑक्यूपेशनल थेरेपी दिवस पर अस्पताल में शिविर लगाकर की गई इलाज
फिजियोथेरेपी चिकित्सा पद्दति के सर्वांगीण विकास के लिये सरकार सजग है। इसको लेकर गोपालगंज सदर अस्पताल में वर्ल्ड फिजियोथेरेपी व ऑक्यूपेशनल थेरेपी दिवस मनाया गया। इस दौरान डॉक्टरों द्वारा शिविर लगाकर मरीजो का निःशुल्क इलाज की गई। साथ ही फिजियोथेरेपी व ऑक्यूपेशनल के इलाज से होने वाले फायदा को भी बताया व कई परामर्श दिए गए।
ज्ञातव्य हो कि 8 सितम्बर को विश्व में वर्ल्ड फीजिओथेरेपी दिवस के रूप में मनाया जाता है। फीजिओथेरेपी मेडिकल विज्ञान की ऐसी प्रक्रिया है जिसके मदद से कई रोगों का इलाज संभव हुआ है। लोगों में इसके प्रति जागरूकता कम होने से काफी कम लोग इसका फायदा उठा पाते हैं। इस दौरान विशेषज्ञों ने बताया कि फीजिओथेरेपी में जहाँ एक ओर गठिया और स्पाइनल इंजरी, लकवा जैसी जटिल बीमारियों का इलाज है, वहीं किसी भी प्रकार का साइड इफ्फेक्ट ना होने से लोगों की इसमें दिलचस्पी बनी रहती है। क्षेत्र में रोजगार की संभावनाएं दिन पर दिन बढ़ती जा रही हैं। बदलती जीवनशैली और काम के सिलसिले में भागमभाग के चलते लोगों के स्वास्थ्य पर कई तरह के प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहे हैं, जिनमें शारीरिक व मानसिक अशक्तता प्रमुखता से शामिल हैं।
जानकारों के माने तो इनसे निजात पाने के लिए उन्हें एक्सपर्ट की मदद लेनी पड़ रही है। संबंधित एक्सपर्ट विभिन्न विधियों से इलाज करते हुए उन्हें समस्या से मुक्ति दिलाते हैं। साथ ही उन्हें मानसिक रूप से भी मजबूत बनाते हैं। कई बार डॉंक्टर के देख लेने के बाद इनकी जरूरत पड़ती है तो कुछ मामले ऐसे भी हैं। जिनमें डॉंक्टर के देखने से पहले ही इनकी सेवा ली जाती है। खासकर मेडिकल और ट्रॉमा सेंटर इमरजेंसी व फ्रैक्चर मैनेजमेंट में तो इनकी विशेष जरूरत पड़ती है। यह पूरा ताना-बाना ऑक्यूपेशनल थेरेपी के अंतर्गत बुना जाता है। इससे जुड़े प्रोफेशनल्स को ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट नाम दिया गया है। इनका काम फिजियोथेरेपिस्ट से मिलता-जुलता है। यही कारण है कि मेडिकल व फिटनेस एरिया में इनकी भारी मांग है ऑक्यूपेशनल थेरेपी का सीधा संबंध पैरामेडिकल से है। इसके अंतर्गत शारीरिक व विशेष मरीजों की अशक्तता का इलाज किया जाता है, जिसमें न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर, स्पाइनल कॉर्ड इंजरी के उपचार से लेकर अन्य कई तरह के शारीरिक व्यायाम कराए जाते हैं। कई बार मानसिक विकार आ जाने पर कागज-पेंसिल के सहारे मरीजों को समझाया जाता है। ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट मरीजों का पूरा रिकॉर्ड अपने पास रखते हैं। इसमें हर आयु-वर्ग के मरीज होते हैं। यह सबसे तेजी से उभरते मेडिसिन के क्षेत्रों में से एक है। इसमें शारीरिक व्यायाम अथवा उपकरणों के जरिए कई जटिल रोगों का इलाज किया जाता है। शारीरिक रूप से अशक्त होने या खिलाडियों में आर्थराइटिस व न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर आने पर ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट की मदद ली जाती है। यही कारण है कि प्रोफेशनल्स को ह्यूमन एनाटमी, हड्डियों की संरचना, मसल्स एवं नर्वस सिस्टम आदि की जानकारी रखनी पड़ती है। इसके लिये सुदूर ग्रामीण क्षेत्रो में भी जागरूकता की आवश्यक्ता है, ताकी समाज का अंतिम व्यक्ति भी फिजियोथेरेपी चिकित्सा के माध्यम से स्वस्थ्य रह सके।