राम जन्मभूमि मंदिर स्थल का ताला खुलवाकर राजीव गांधी ने की थी गलती : प्रणव मुखर्जी
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरुवार को जारी अपने संस्मरण में कहा कि अयोध्या में रामजन्मभूमि मंदिर का ताला खुलवाना प्रधानमंत्री राजीव गांधी का ‘गलत निर्णय‘ था। इसके साथ ही उन्होंने बाबरी मस्जिद गिराए जाने को ‘पूर्ण विश्वासघात‘ करार देते हुए कहा कि इसने भारत की छवि नष्ट कर दी। राष्ट्रपति के इस पुस्तक का विमोचन उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने किया है।
बाबरी मस्जिद गिराया जाना विश्वासघाती काम था :-
राष्ट्रपति ने पुस्तक ‘द टर्बुलेंट ईयर्स : 1980-1996’ में लिखा है, ‘राम जन्मभूमि मंदिर को एक फरवरी 1986 को खोलना शायद एक और गलत निर्णय था। लोगों को लगता है कि इन कदमों से बचा जा सकता था।’ मुखर्जी कहते हैं, ‘बाबरी मस्जिद को गिराया जाना एक पूर्ण विश्वासघाती कृत्य था… एक धार्मिक ढांचे का विध्वंस निरर्थक था और यह पूरी तरह से राजनीतिक मकसद को पूरा करने के लिए था।
और इससे भारत और विदेशों में मुस्लिम समुदाय की भावनाओं को गहरा आघात लगा। इसने एक सहिष्णु और बहुलतावादी देश के तौर पर भारत की छवि को नष्ट किया।’ इसके साथ राष्ट्रपति ने कहा कि मंडल आयोग की सिफारिशें लागू करने से ‘समाज में सामाजिक अन्याय कम करने में मदद मिली,हालांकि इसने हमारी जनसंख्या के विभिन्न वर्गों को बांटा और उनका ध्रुवीकरण किया।’
और उन्होंने कहा 1989 से 1991 की अवधि एक ऐसा चरण था, जिसमें हिंसा और भारतीय समाज में दुखद रूप से फूट का प्रभुत्व रहा। तथा उन्होंने बताया , ‘जम्मू कश्मीर में आतंकवाद एवं सीमापार आतंकवाद शुरू हुआ, राम जन्मभूमि मंदिर-बाबरी मस्जिद मुद्दे ने देश को हिलाकर रख दिया। अंतत: 21 मई 1991 को अचानक एक आत्मघाती हमलावर ने राजीव के जीवन का दुखद अंत कर दिया।’
राजीव गांधी की हार के कारणों में से एक बोफोस मुद्दा :-
राष्ट्रपति मुखर्जी कहते हैं कि राजीव गांधी की इसके लिए आलोचना की जाती है कि वे ऐसे कुछ नजदीकी मित्रों एवं सलाहकारों पर अत्यधिक निर्भर रहते थे, जिन्होंने तथाकथित ‘बाबालोग’ सरकार गठित की और उनमें से कुछ उनके माध्यम से अपना भविष्य संवारने में लगे थे। मुखर्जी लिखते हैं कि बोफोर्स मुद्दा लोकसभा चुनाव में राजीव गांधी के खराब प्रदर्शन के कारणों में से एक साबित हुआ। हालांकि अभी तक उनके खिलाफ कोई भी आरोप साबित नहीं हुआ है।
वह कहते हैं कि वी पी सिंह सरकार का सरकारी नौकरियों और केंद्रीय विश्वविद्यालयों में अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण के लिए मंडल आयोग की सिफारिशे लागू करने के निर्णय के चलते सिंह एक ‘मसीहा’ के तौर पर मशहूर हुए। मुखर्जी ने कहा कि इस कदम ने सामाजिक अन्याय को कम किया, लेकिन इसने देश को ‘बांट दिया और उसका ध्रुवीकरण कर दिया।’
उन्होंने कहा कि 1980-1996 के दौरान भारत इन चुनौतियों से मजबूत बनकर उभरा। उन्होंने कहा, ‘1980 के दशक के सुधारों का दायरा सीमित था, लेकिन ये 1990 के दशक की व्यवस्थित नीति की कहानी के अग्रगामी थे। कुल मिलाकर उससे देश को समृद्ध लाभांश प्राप्त हुए।’ उन्होंने कहा, ‘इस अवधि के दौरान भारत कुछ चुनौतियों पर काबू पाने में सफल रहा, कुछ को नियंत्रित रखा और नए रास्ते निकाले।