दलितों के जैसे मैंने भी सहा है अपमान : मोदी
नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि वित्तीय समावेश पर सरकार का मुख्य जोर है और केंद्र सरकार लोगों, विशेष तौर पर पिछड़े वर्ग के सशक्तिकरण की दिशा में काम कर रही है। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के उद्यमियों के राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए मोदी ने कहा कि हमारी सरकार, ‘आपकी सरकार’ है। हम आपके सशक्तिकरण के लिए काम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे कामकाज के केंद्र में वित्तीय समावेश है।
हम रोजगार सृजनकर्ता तैयार करना चाहते है, रोजगार मांगने वाले नहीं। उन्होंने कहा कि दलितों के मसीहा बाबा साहब भीम राव अंबेडकर भारतीय संविधान के निर्माता थे लेकिन कम ही लोग जानते होंगे कि वे एक विद्वान अर्थशास्त्री भी थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज दलित इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के 10 साल पूरे होने के अवसर पर अंबेडकर की याद में बनी संस्था के सम्मेलन का उद्घाटन किया। पीएम ने दलितों के अधिकार का मुद्दा उठाते हुए बाबा साहेब अंबेडकर के योगदान का जिक्र किया।
और इसके साथ ही उन्होंने दलितों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार पर कहा कि अपमान क्या होता है, ये हम अच्छी तरह जानते हैं। पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा कि मन की बात में मैंने कहा था कि बाबा साहेब ने हमें संविधान दिया और 60 साल में केवल अधिकार की चर्चा होती है क्यों न इस बार कर्तव्य की चर्चा करें। हमें सर झुका कर मानना चाहिए कि जो लोग यहां हैं उन्होंने कर्म करके दिखाया है, कर्त्तव्य का मार्ग चुना है। बाबा साहेब की आत्मा को ये देखकर सबसे ज्यादा खुश हो रहे होंगे।
ये सभागार अगर एससी-एसटी के नेताओं से भरा होता तो वो खुश न होते, वो आपको देखकर खुश होंगे। सरकार की तिजोरी में आप लोग सैकड़ों करोड़ों रूपये का टैक्स देते हैं और लाखों लोगों को रोजगार देते हैं, गरीबों का पेट भी भरते हैं। आपके दर्शन करने का जो अधिकार मिला है मैं ह्रदय से अभिनंदन करता हूं। पीएम मोदी ने कहा कि बाबा साहेब एक अर्थशास्त्री भी थे और रिजर्व बैंक की कल्पना की थी, पर दुख तब होता है जब किसी दलित को लोन चाहिए तो लोहे के चने चबाने होते हैं।
देश का इतना बड़ा वर्ग जो कसौटी पर कसा हुआ वर्ग है। ये वो वर्ग है जिसने हर अपमान झेला है और कसौटी से कसता कसता निकला है। उसकी ताकत का अहसास मुझे है। स्टील का मूल्य लोहे से ज्यादा होता है। आप आत्मबल से भरे हुए हैं और आत्मविश्वास के भरे हुए हैं। यहां 3000 से ज्यादा दलित उद्यमी हैं जो सुखद अहसास है। कभी कभार जब हम खबरें सुनते हैं, कुछ अप्रिय हो जाए तो इंसान को लगता है कि जीना बेकार है, आत्महत्या के रास्ते पर चल पड़ते हैं।
अच्छे घर के लोग भी कभी इसपर चल पडते हैं। निराशा के माहौल पर भी जीने की आस जगाने की ताकत पूरा समाज दे सकता है तो इस शक्ति को पहचाना होगा। आर्थिक पहलू से ज्यादा सामाजिक पहलू ज्यादा ताकतवर होते हैं। समाज के सदियों पुरानी दिक्कतों से निकल कर आ सकते हैं।
एससी-एसटी के लिए जो पहली पीढ़ी के उद्यमी हैं उनके लिए बैंकों से व्यवस्था करने को कहा है। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत समाज के इस तबके लोगों के लिए योजनाए हैं। 80 लाख लोगों को बिना गारंटी के लोन दिया गया। 50,000 करोड़ से ज्यादा लोन दिया है। इसमें एससी,एसटी, ओबीसी और महिलाएं हैं। ये छोटे-छोटे उद्यमी 14 करोड़ लोगों को रोजगार देते हैं पर बैंक उनको लोन नहीं देते। हमने ये व्यवस्था कराई।
पीएम मोदी ने कहा कि समाज के नीचे के तबके के लोग जब मजबूत होगा तो ही देश मजबूत होगा। ये देश के साथ कंधा मिलाकर चलना चाहते हैं। भारत के पास 65 प्रतिशत लोग 35 साल से कम उम्र के हैं। उनका हौसला बुलंद करना है कि वो बढ़ें और 2 लोगों को और बढ़ाएं। 10 साल की यात्रा से हमने पाया है कि देश प्रगति करेगा। आज दिल्ली में ऐसी सरकार है जो आप की सरकार है।
अपमान क्या होता है और हम जानते हैं कि इसकी चुभन क्या है। हम अच्छे कपड़े पहन कर निकल जाएं तो सामंती विचार सोचता है कि अच्छा अच्छे कपड़े पहना है और ये आज भी है समाज में। पर आपको ये बात ध्यान रखना चाहिए कि दिल्ली में आपका अपना कोई बैठा है। दलित के पास खेत नहीं है, पैसा नहीं है। अगर देश का औद्योंगीकरण होगा तो निचले तबके के लोग को रोजगार मिलेगा। हम कहते हैं बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ। तो ये हमारे ही परिवार की बेटियां हैं जिनको पढ़ना है तो हम इसपर काम करेंगे।