गोपालगंज

गोपालगंज समेत पुरे देश में रमजान का दिखा चाँद, कल से पहला रोजा रखेंगे मुसलमान भाई

शनिवार की शाम रमजान का चांद दिख गया। पाक माहे रमजानुल मुबारक का चांद दिखते ही मुसलमान भाईयों ने एक दुसरे को रमजान के पाक महिना की मुबारक बाद देने लगे। बरकतों व रहमतो का महिना रमजान का पहला रोजा कल से रखा जायेगा।

गोपालगंज जामा मस्जिद के इमाम शौकत अली फहमी ने रमजान के चाँद देखे जाने की पुष्टि करते हुए कहा की सूबे के हर तबके सहित देश के विभिन्न शहरों में चाँद देखा गया। आम लोगों ने भी चाँद देखे जाने के बाद एदारो में कॉल कर ख़ुशी जाहिर की है। कल यानि रविवार से रमजान माह का पहला रोजा सभी मुसलमान भाई रखेंगे।

रमजान के चाँद देखे जाने के बाद शनिवार से सभी मस्जिदों में तरावीह की नमाज शुरू हो गई है। पहला रोजा और सहरी के लिए बाजार में खरीदारों की भीड़ उमड़ पड़ी। आज शाम अपने-अपने छतों पर लोगों ने रमजान का चांद देखने के लिए असमान पर निगाहें जमाये हुए थे और जिसे ही मुकद्दस माहे रमजान का चाँद देखा गया लोगो ने एक दुसरे को मुबारकबाद देने लगे । लोगों ने अपने दोस्तों रिश्तेदारों और शुभचिंतको को रमजान के चाँद देखे जाने और मुबारक बाद देंने के लिए मोबाईल और सोशल मिडिया का खूब इस्तेमाल किया।

क्या है रमज़ान के चाँद की अहमियत :-

जब पैगंबर मोहम्मद ने अल्लाह से गुजारिश की कि मेरे उम्मत से 50 दिन का फर्ज रोजा नहीं रखा जाएगा। अल्लाह ने गुजारिश को कबूल करते हुए रमजान में 30 दिनों का रोजा उनकी उम्मत पर फर्ज किया।

इस महीने की अहमियत इसलिए सबसे ज्यादा है कि इसी महीने में अल्लाहतआला ने पैगंबर मोहम्मद (सल.) पर कुरआन नाजिल किया। पिछले चौदह सौ वर्षों से अधिक समय से मुसलमान रोजा रखते आ रहे हैं। इस माह में जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं तथा जहन्नुम को बंद कर दिया जाता है.

जिस तरह इस्लाम मज़हब में रोज़ो की अहमियत ज़्यादा है वैसी ही रमजान के चाँद की भी बहुत बड़ी अहमियत, जैसे ही रमज़ान का चाँद नज़र आता है वैसे ही हर मुस्लमान के चेहरे पर ख़ुशी नज़र आती है.

इतना ही नहीं हर मुस्लमान अपनी इबादतों में मशगूल हो जाते है और रोज़ा नमाज़ के पाबंद हो जाते है. जैसे ही रमजान का चाँद दीखता है तो हर मुसलमान रमजान की अहमियत को समझता है और उस पर अमल भी करता है.

इस्लामिक कैलेंडर के महीने चांद पर आधारित हैं। साल में बारह महीने होते हैं। तो चांद महीने में लगभग सभी रात दिखते हैं, लेकिन इस्लामिक महीने की शुरुआत नए चांद देखे जाने के दूसरे दिन से शुरू हो जाती है। नया चांद किसी माह में 29 तारीख को होता है तो किसी माह में 30 को। अमूमन साल में छह माह 29 के चांद होने से शुरू होता है तो शेष माह 30 के चांद से । 29 का चांद बहुत ही बारीक और कम समय के लिए दिखता है जबकि 30 के चांद की मोटाई होती है और कुछ देर दिखता है

कुरआन व हदीस में इसका जिक्र है कि हर बालिग मर्द व औरत पर रमजान का रोजा फर्ज किया गया है। जो बीमार हैं, बहुत बूढ़े हैं, शरीर में रोजा रखने की क्षमता नहीं है, मानसिक रूप से बीमार हैं उन्हें रोजा नहीं रखने की बात कही गई है। बीमार अगर स्वस्थ हो जाए तो पहली फुर्सत में रोजा रखे

अगर कोई बालिग मर्द व औरत जान बूझकर इस माह का रोजा न रखे तो वह गुनहगार है। उलेमा फरमाते हैं कि अल्लाह तआला ने एलान किया है कि ऐसे लोग जहन्नुम में जाएंगे जो रोजा न रखे। हुक्म तो यहां तक है कि वह शख्स जिसने रोजा नहीं रखा, वह ईद की नमाज रोजेदारों के साथ अदा न करे

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