गोपालगंज सदर अस्पताल के डॉ. अमर कुमार ने पेश की इंसानियत की अनूठी मिसाल
गोपालगंज। सरकारी अस्पतालों में मानवता को शर्मसार कर देने वाली घटनाएं तो आपने कई बार सुनी होगी। लेकिन यह कहानी उस गरीब युवक की है, जिसे सदर अस्पताल के एक चिकित्सक ने नई ¨जदगी दी है।
लावारिस स्थिति में लाठी के सहारे लड़खड़ाते हुए यह युवक सदर अस्पताल में पहुंचा था, सदर अस्पताल गेट पर पहुचते ही युवक गिरकर बेहोश हो गया। तभी गोपालगंज के युवाओ द्वारा समाजसेवा के नियत से चल रही DBDT टीम के सदस्य ने उसे इस अवस्था में देखा तो उससे रहा नहीं गया , तुरंत उस युवक को उठाकर सदर अस्पताल में भर्ती कराया। इस युवक का इलाज करने पहुंचे डॉ. अमर कुमार ने इसकी हालत देख ब्लड चढ़ाने की बात कही। लेकिन इस लावारिस युवक को भला अपना खून कौन देता। तब चिकित्सक ने खुद इस युवक की जान बचाने के लिए रक्तदान किया। बलड चढ़ने के बाद युवक के जान में कुछ जान आई तो वह बस इतना ही कह सका- थैंक्यू सर, आपने अपना रक्त देकर मुझे नई ¨जदगी दी है और इसके बाद युवक की आंखों से आंसू बहने लगे।
महम्मदपुर थाना क्षेत्र के पड़री गांव निवासी चंदू कुमार कभी छत्तीसगढ़ में में रहकर नर्सरी में काम करता था। वह बड़े-बड़े साहब के बंगला व घर में फूल लगाता था। इसी बीच छह माह पूर्व इसकी तबीयत खराब हो गई। युवक अपने गांव अपने भाई विजय महतो के पास रहने के लिए चला आया। लेकिन यहां आने के बाद उसके भाई ने इसे पीटकर घर से निकाल दिया। युवक चंदू कुमार ने बताया कि घर से निकाले जाने के बाद वह महम्मदपुर में एक होटल में काम करने लगा। लेकिन तबीयत और बिगड़ती चली गई। जिसके कारण होटल वाले ने वहां से हटा दिया। होटल से हटाए जाने के बाद गुरुवार को बीमार चंदू अपने पाकेट में तीस रुपया लेकर महम्मदपुर से लाठी का सहारा लेते हुए सदर अस्पताल पहुंचा। लेकिन वह सदर अस्पताल के गेट पर आते ही बेहोश हो गया। इसी बीच DBDT टीम के सदस्य की नजर चंदू पर पड़ी। DBDT टीम के सदस्यों ने उसे उठाकर सदर अस्पताल में भर्ती कराया। सदर अस्पताल के चिकित्सक डॉ.अमर कुमार ने बताया कि इस युवक की हालत काफी गंभीर थी। इसे तत्काल ब्लड चढ़ाने की जरूरत थी। लेकिन लावारिस हालत में आए इस युवक को ब्लड नहीं मिला। जिसे देखकर डॉ.अमर कुमार युवक की जान बचाने के लिए खुद आगे आए। इन्होंने अपना रक्दान कर इस युवक को ब्लड चढ़ाया। डॉ. अमर कुमार ने बताया कि इस युवक की देखभाल करने वाला कोई नहीं है। जब तक इसका सदर अस्पताल में इलाज चलेगा तक तक इसके खाने-पीने तथा इलाज पर आने वाले खर्चे वह खुद उठाएंगे।